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सोजना मंदिर
इस जिनालय में देशी पाषाण निर्मित प्राचीन पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा विराजमान हैं। दो अन्य प्रतिमायें भी यहां स्थित हैं। पार्श्वनाथ जिनालय :
___ इन जिनालय में भी अन्य मूर्तियों के अलावा मूलनायक के रूप में भगवान पार्श्वनाथ की प्राचीन प्रतिमा स्थापित हैं। वर्धमान जिनालय :
यह जिनालय भगवान शान्तिनाथ जिनालय के ठीक सामने स्थित है, जिनमें मूलनायक के रूप में वर्धमान स्वामी की प्रतिमा विराजमान है। युगल मानस्तंभ :
वि. सं. 1013 में प्रतिष्ठित इन मानस्तंभों में प्रत्येक में 4-4 जिनबिम्ब विराजमान हैं। यक्ष-यक्षिणी भी उत्कीर्ण हैं। बाहुबली मंदिर:
यह जिनालय मुख्य जिनालय के बाईं ओर स्थित है। जिसमें भगवान बाहुबली स्वामी की संगमरमर निर्मित मनोहारी प्रतिमा स्थापित हैं।
उपरोक्त जिनालयों के अतिरिक्त यहां अन्य दर्शनीय स्थल हैं:
श्री शान्तिनाथ संग्रहालयः यह संग्रहालय एक विशाल हाल में संचालित है। यहां चौथी शताब्दी से लेकर वर्तमान समय तक की एक हजार प्रतिमाओं से भी अधिक प्राचीन मूर्तियों आदि के भग्नावशेष आदि संग्रहित हैं। कुछ खंडित प्रतिमायें भी यहां संग्रहित की गईं हैं।
पंच पहाड़ी: भगवान शान्तिनाथ जिनालय से लगभग 1 किलोमीटर से भी कम दूरी पर केवलियों व मुनिराजों की तपस्थली व मोक्षस्थलियों के रूप में पांच पहाड़ियों पर उनके चरण-चिह्न बने हुए हैं। यहीं से नल व विस्कंबल आदि मुनिश्वर मोक्ष गये थे।
इसके अलावा यहां पर क्षु. श्री गणेशप्रसाद जी वर्णी द्वारा स्थापित संस्कृत विद्यालय 1936 से कार्यरत है व्रती आश्रम, महिलाश्रम भी यहां क्रमशः 1958 व 1960 से संचालित हैं। पं. दरवारी लाल जी कोठिया द्वारा स्थापित सरस्वती सदन भी इस क्षेत्र पर स्थित है। जैन छात्रावास, जैन औषद्यालय जैसी जनोपयोगी संस्थायें भी इस क्षेत्रान्तर्गत कार्य कर रही हैं।
26. मध्य-भारत के जैन तीर्थ