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भद्दलपुर
इसे अनेक नामों से जाना जाता है । यह दिल्ली-भोपाल रेल मार्ग पर स्थित है । वर्तमान की विदिशा नगरी के आसपास ही भद्दलपुर स्थित था। यहां 10वें तीर्थंकर भगवान श्री शीतलनाथ जी के प्रथम तीन कल्याणक सम्पन्न हुये थे । यह नगरी पवित्र बेतवा नदी के किनारे स्थित है। नगर में अनेक जिनालय हैं; किन्तु 3-4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उदयपुर की गुफायें भी प्राचीन भद्दलपुर में थीं। यहां भी भगवान श्री शीतलनाथ के चरण-चिह्न व प्राचीन जिनालय हैं।
चंपापुरी
बिहार के प्रसिद्ध शहर भागलपुर में स्थित चंपापुरी तीर्थ क्षेत्र 12वें तीर्थंकर भगवान श्री वासुपूज्य की गर्भ, जन्म, तप, दीक्षा व मोक्ष स्थली है। यहाँ पर एक भव्य व आलीशान जिनालय है जिसका प्रवेश-द्वार अति मनमोहक है व जिसके दरवाजे पर 12 भव्य मढ़िया बनी हैं। भगवान श्री वासुपूज्य के चरण-चिह्न व पीतवर्ण जैसी एक विशाल पद्मासन प्रतिमा जिनालय में अनेक जिन - प्रतिमाओं के साथ विराजमान हैं । इसी जिनालय में लगभग 20 फीट ऊँची कायोत्सर्ग मुद्रा में एक भव्य व मनोज्ञ प्रतिमा भगवान वासुपूज्य की विराजमान है । दूसरी ओर कायोत्सर्ग मुद्रा में ही भगवान श्री महावीर स्वामी की विशाल प्रतिमा स्थित है। इस मुख्य जिनालय के बाहर एक अन्य शिखरबंद जिनालय में काले पत्थर की लगभग 6-7 फीट ऊँची पद्मासन मुद्रा में भगवान वासुपूज्य की मनोज्ञ प्रतिमा विराजमान हैं । यहीं कमठ के उपसर्ग को भी बड़े ही अतिशय पूर्ण ढंग से बतलाया गया है। भव्य व आकर्षक चौबीसी का निर्माण भी किया गया है । यही एकमात्र ऐसी जन्मभूमि है; जहां उन्हीं भगवान के पांचों कल्याणक हुये हैं ।
कंपिलाजी (कंपिल)
13वें तीर्थंकर भगवान श्री विमलनाथ का यह पावन पुनीत जन्मस्थान है । यहाँ की पावन धरा पर तीर्थंकर श्री विमलनाथ के चार कल्याणक हुये थे । अतः इन नगरी की पावन धरा पूज्यनीय व वंदनीय है । महसती द्रौपदी का जन्म भी यहीं हुआ था । कपिल मुनि की यह तपस्थली रही है। भगवान पार्श्वनाथ व महावीर स्वामी के समवशरण इस पावन धरा पर भी आये थे ।
कपिल या कंपिला सड़क मार्ग पर स्थित है। यहाँ का समीपस्थ रेल्वे स्टेशन कानपुर अछनेरा मीटर गेज रेल्वे लाइन पर कायमगंज हैं। कायमगंज से कंपिला की दूरी मात्र 10 किलोमीटर है। जो पक्की सड़क से जुड़ा है। कायमगंज से कपिला
182 मध्य-भारत के जैन तीर्थ