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मस्जिद बनाई गयी। खुदाई करते समय यहाँ एक कमरा मिला है। जिसमें कई दिगंबर मूर्तियां मिली हैं। एक लेख सं. 1165 का भी मिला है। किले में कुल 1500 जैन मूर्तियां हैं जो 6 इंच से लेकर 57 फीट तक ऊँची हैं। उरखाई दरवाजे के बाहर आदिनाथ भगवान की मूर्ति 37 फीट तक ऊंची दोनों ही मुद्राओं में है। उरखाई गेट के बाहर श्री ऋषभ देवजी की 57 फीट ऊंची प्रतिमा स्थित है। यहीं बायें समूह में 40 खड्गासन, 24 पद्मासन, लघुप्रतिमायें 840, उपाध्याय व साधु मूर्तियां, चार यक्ष व यक्षिणी देवी-देवताओं की 12 मूर्तियां हैं। 4 चैत्य स्तंभ भी बने हैं। इस समूह में 10 शिलालेख हैं। जो सं. 1510 के आसपास के हैं। दायीं तरफ के समूह में 47 खड्गासन व 31 पद्मासन, 6 यक्ष, 6 चैत्यस्तंभ व 3 शिलालेख हैं। किले के ऊपर सास-बहू के मंदिर तथा तेली का मंदिर पहले जैन मंदिर थे, जो सं. 1093 में बनें थे। ये नंदीश्वर द्वीप की आकृति के जिनालय थे। तेली के मंदिर के बगल में बने कमरे को सं. 1844 में कनिंघम ने पार्श्वनाथ का मंदिर बताया है जो सं. 1108 का बना था। पत्थर की बावड़ी पर 144 जिन-प्रतिमायें हैं। सबसे बड़ी पद्मासन प्रतिमा पार्श्वनाथ भगवान की 37 फीट ऊँची है; जबकि सबसे ऊँची खड्गासन प्रतिमा 36 फीट है। इनका निर्माण सं. 1440-73 के बीच महाराजा डूंगर सिंह ने करवाया था।
मनहरदेव- यह तीर्थ डबरा से 19 किलोमीटर व करहिया ग्राम से 8 किलोमीटर दूर है। यहाँ 11 जिनालय थे जो अब जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं। यहां की 15 फीट ऊँची कायोत्सर्ग मुद्रा में स्थित प्रतिमा अब सोनगिर तलहटी में विराजमान है। सन् 1967 में मूर्ति चोरों ने यहाँ की 19 मूर्तियों के सिर काट दिये थे। यहाँ 10-11वीं शताब्दी की प्रतिमायें हैं। पास के ग्राम में चैत्यालय है।
पनिहार-चौबीसी जिनालय, ये भोयरे में स्थित है। जहाँ दाईं ओर की वेदी पर 6, सामने की पर 5 व बाई ओर की वेदी पर 7 जिन-प्रतिमायें विराजमान हैं। 4 मूर्तियां खंडित अवस्था में यहीं रखी हैं। 2 प्रतिमायें प्यारेलाल के मंदिर मामा के बाजार लश्कर में ले जाईं गई हैं। ये प्रतिमायें सं. 1429 की हैं। यह ग्वालियर शिवपुरी रोड पर ग्वालियर से 30 किलोमीटर दूर हैं।
बरई- ये भी इसी मार्ग पर बरई ग्राम के समीप स्थित है। यहाँ चार गर्भगृहों में क्रमशः तीन 16 फीट ऊँची तीर्थंकर प्रतिमा, 18 फीट ऊँची खड्गासन प्रतिमा नेमिनाथ की, 13 फीट ऊँची तीर्थंकर प्रतिमा, व अन्य अनेक क्षतिग्रस्त प्रतिमायें विराजमान हैं। . बजरंग गढ़
यह अतिशय क्षेत्र मध्यप्रदेश राज्य के गुना जिला मुख्यालय से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शिल्प कला की दृष्टि से देखने पर थूबौन स्थित शान्तिनाथ जिनालय, अहार स्थित शान्तिनाथ जिनालय जैसा ही यह विशाल जिनालय है। इस प्राचीन जिनालय को विगत कुछ वर्षों से नया रूप देने का प्रयास किया गया है।
मध्य-भारत के जैन तीर्थ- 173