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लखनादोंन यह जबलपुर-नागपुर रोड़ पर जबलपुर से 83 किलोमीटर दूरी पर सिवनी जिले में स्थित तहसील मुख्यालय है। यहाँ दो राष्ट्रीय राजामर्ग आकर मिलते हैं (नं.7 व नं.26)। यहाँ 20-25 किलोमीटर के वृत्त में पुरातत्व सामग्री बिखरी पड़ी है। इसे लक्ष्मण द्रोण नामक महाभारत युगीन मानते हैं। स्व. डा. हीरालाल जैन के अनुसार यहाँ 8वीं से 10वीं सदी के बीच कोई भव्य जिनालय अवश्य रहा होगा; क्योंकि एक द्वार शिलाखंड का मिलना व बाद में सन् 1971 में खेत जोतते समय शारदा प्रसाद को प्रतिमा का मिलना इस बात की पुष्टि करता है। यह जिनबिम्ब 4 फीट x 2.5 फीट के प्रस्तर खंड में उत्कीर्ण है व वर्तमान में स्थानीय जैन मंदिर में विराजमान हैं। इस प्रतिमा की भाव-अभिव्यंजना, अंग-विन्यास कला, अंकन व शिल्प-सौष्ठव प्रभावी व सजीव है। यह प्रतिमा पद्मासन में अवस्थित है व परिकर में तीन छत्र, भामंडल, गजारुढ़ इन्द्र दम्पत्ति व चमरधारी इन्द्र प्रतिमा की शोभा को चार चांद लगा रहे हैं। नीचे यक्ष मातंग व यक्षणी सिद्धायनी भी बनी है। यह प्रतिमा भगवान महावीर स्वामी की है।
पतियानदाई सतना से दक्षिण-पश्चिम में 9 किलोमीटर दूर सिन्दूरिया पहाड़ी पर एक भग्न मंदिर है; जिसे डुबरी की मढ़िया या पतियाना दाई के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में कनिंघम ने सन् 1874 में वेदिका पर 24 जैन यक्षिणी की मूर्तियां देखीं थीं। यहाँ एक विशाल शिला पर 24 जैन यक्षिणीयों की मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। ऐसा अंकन अन्यत्र कहीं भी देखने को नहीं मिलता। मध्य में देवी अम्बिका की मूर्ति सिंहासनारूढ़ है। जिस पर एक बालक सिंह पर आरुढ़ है व दूसरा देवी का हाथ पकड़े खड़ा है। ये प्रियंकर व शुभंकर हैं। देवी के शिरोभाग पर 5 तीर्थंकर मूर्तियां उत्कीर्ण हैं, जिनमें 3 पद्मासन व 2 कायोत्सर्ग मुद्रा में हैं। 8 खड्गासन प्रतिमायें भी उत्कीर्ण हैं यह सभी कला गुप्त काल की निर्मित हैं।
कारीतलाई यह तीर्थ मैहर से 35, कटनी से 46 व उचहरा से 50 किलोमीटर दूर कैमूर पर्वत श्रेणिओं में स्थित है। इसका प्राचीन नाम कर्णपुर था। कहते हैं विजय राधोगढ़ के किले का निर्माण कारीतलाई के प्राचीन पत्थरों से हुआ था। यहां गुप्त काल के मंदिर व पुरासामग्री है। इसके निकट स्थित भरहुत, शंकरगढ़, उचहरा, खो, भुमारा आदि स्थानों पर गुप्तकाल से लेकर परिहार व कलचुरि काल तक के अभिलेख व मूर्तियां मिलती हैं। यहाँ के ताम्रलेख गुप्त सं. 156 से 214 तक के हैं।
मध्य-भारत के जैन तीर्थ- 169