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बनैडिया बनैडिया अतिशय क्षेत्र इंदौर जिले में स्थित है। इस क्षेत्र की दूरी इंदौर से 15 किलोमीटर है। इंदौर से इस क्षेत्र तक बसें चलती हैं। यह पश्चिमी रेल्वे पाविमा रेल्वे स्टेशन से 29 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
ऐसी किंवदन्ती है कि कोई यति गुजरात के किसी स्थान से मंत्रवल से एक जिनालय को कहीं ले जा रहा था। किसी कारणवश उस यति को बनैड़िया में उतरना पड़ा। वह यति प्रयास करने पर भी इस जिनालय को आगे नहीं ले जा सका। तब से यह जिनालय बनैडिया में ही स्थित है। इसीलिये कहा जाता है। कि इस जिनालय की नींव नहीं है। इसे उड़ा हुआ जिनालय भी कहते हैं। इस तीर्थ-क्षेत्र पर धर्मशाला, तालाब, कुएं आदि स्थित हैं। यहाँ सभी धर्मों के लोग बड़े ही श्रद्धा भाव से भगवान के दर्शन करने आते हैं। इस तीर्थ-क्षेत्र पर चैत्र सुदी 13 से 15 तक वार्षिक मेला भी लगता है। ____ 1. प्राचीन जिनालय- यह वही जिनालय है; जिसका ऊपर वर्णन किया जा चुका है। इस जिनालय की वेदिका पर मूलनायक के रूप में दूसरे तीर्थंकर भगवान अजितनाथ की श्वेतवर्ण की प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में विराजमान हैं। इस प्रतिमा की अवगाहना 3 फीट 88 इंच है। यह प्रतिमा सं. 1548 की है वेदिका पर 1548 में ही प्रतिष्ठित 48 जिन-प्रतिमायें और भी विराजमान हैं। इन सभी प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा श्री जीवराज पापड़ीबाल, उनकी माता श्री एवं उनकी धर्मपत्नी ने कराई थी। इन जिनालय में भगवान आदिनाथ की दो प्रतिमायें 3 फीट 3 इंच व 2 फीट 8 इंच अवगाहना की, भगवान अजितनाथ की दो प्रतिमायें क्रमशः 2 फीट इंच व 2 फीट 8 इंच अवगाहना की व भगवान चन्द्रप्रभु की एक प्रतिमा जो श्वेत पाषाण से निर्मित है व अतिभव्य तथा मन को आल्हादित करने वाली है; भी इस वेदिका पर विराजमान है। इस वेदिका पर कुछ प्रतिमायें सं. 1678 से 1784 के बीच की भी विराजमान है।
2. नवीन जिनालय- यह नवनिर्मित जिनालय है। इसमें चार वेदिकायें बनी है। सामने प्रथम वेदिका पर भगवान अजितनाथ की प्रतिमा के साथ सात अन्य पाषाण प्रतिमायें विराजमान हैं। बायीं ओर स्थित वेदिका पर भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा के साथ 21 अन्य प्रतिमायें भी विराजमान हैं। दाईं ओर स्थित वेदिका पर भगवान शान्तिनाथ की प्रतिमा विराजमान है। साथ में वेदिका पर 34 अन्य जिनबिम्ब विराजमान हैं। चौक में स्थित वेदिका पर प्रथम तीर्थंकर भगवान
आदिनाथ की प्रतिमा विराजमान हैं। चबूतरे पर स्थित गंधकुटी में भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा विराजमान हैं।
इंदौर आने वाले तीर्थयात्रियों को इस पावन तीर्थ के दर्शन अवश्य करना चाहिये।
166 - मध्य-भारत के जैन तीर्य