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________________ पाषाण प्रतिमायें भी हैं। ये प्रतिमायें किसान को खेत में हल जोतते समय हल रुक जाने से स्वप्न देकर खुदाई में प्राप्त हुई थी। कुल 13 प्रतिमाओं में से 8 श्वेतांबर ले गये। शेष 5 प्रतिमाओं को यहाँ विराजमान कर विशाल जिनालय बनवाया गया; क्योंकि गाड़ी में ले जाने का प्रयास करने पर गाड़ी के पहिये जाम हो गये। जहाँ मूर्तियां मिली थी, वहाँ छत्री बनाकर चरण स्थापित किये गये थे। श्वेतांबरों ने भी यहाँ पृथक जिनालय बनवाकर आठों प्रतिमायें उस जिनालय में स्थापित कराई थीं। क्षेत्र पर धर्मशाला भी हैं। पावागिरी यह सिद्धक्षेत्र है; जहाँ से स्वर्णभद्र आदि मुनि मोक्ष गये थे। एक पावागिरी (पवाजी) ललितपुर उ.प्र. में हैं उनकी भी ऐसी ही मान्यता है। उक्त क्षेत्र का वर्णन इसके पूर्व हम कर चुके हैं। स्वर्णभद्र, उज्जयनी नरेश श्रीदत्त के पुत्र थे। ऊन के राजा बल्लाह ने यहाँ स. 1195 में 100 मंदिरों को निर्माण कराया था। यहाँ सं. 1218, 1252, 1263 की मूर्तियां हैं। मूर्तियों के नीचे प्रशस्ति पर प्रतिष्ठाकाल सं. 299 अंकित हैं। यहीं बेलना नदी बहती है जो चेलना का अपभ्रंस बताया जाता है। यहाँ 5 मूर्तियां व चरण भूगर्भ से मिले। ये प्रतिमायें लगभग 2 फीट ऊँची हैं। धर्मशाला के पीछे एक मूर्ति मिली थी (संभवनाथ की) 2 फीट 8 इंच, सं. 1218। जिनालय 1. चौबारा डेरा नं. 1- इसमें पार्श्वनाथ भगवाना की प्रतिमा 5 फीट ऊँची पद्मासन मुद्रा में आसीन है। 3 खंडित प्रतिमायें भी। भग्न जिनालय। 2. चौबारा डेरा नं. 2- (नहाल अवाल का डेरा) जीर्ण- कोई प्रतिमा नहीं। ____3. ग्वालेश्वर मंदिर- पहाड़ी पर, नीचे गर्भगृह में तीन विशाल प्रतिमायें योगासन मुद्रा में हैं। भगवान शान्तिनाथ, कुंथुनाथ, अरहनाथ की विशाल प्रतिमायें क्रमशः 12 फीट 9 इंच व 8-8 फीट ऊँची अतिभव्य हैं। वर्तमान जिनालय 1. महावीर जिनालय- सं. 1252 में स्थापित इन जिनालय में 2 फीट 2 इंच ऊँची भगवान पद्मप्रभु व आदिनाथ की प्रतिमायें विराजमान हैं। 8 धातु प्रतिमायें भी वेदिका पर विराजमान है। 2. महावीर जिनालय- इसमें 1 फीट 9 इंच ऊँची पद्मासन मुद्रा में महावीर स्वामी की प्रतिमा स्थापित हैं। 3. चन्द्रप्रभु जिनालय- इसमें 11 फीट ऊँची पद्मासन में श्वेत वर्ण की भगवान चन्द्रप्रभु की प्रतिमा स्थापित है। पार्श्व में शान्तिनाथ भगवान की धवल प्रतिमा विराजमान है। 4. मानस्तंभ 5. पंचपहाड़ी- 1. बाहुवली, 2. चरण-चिह्न-शान्तिसागर, 3. शान्तिनाथ जिनालय, 4. शान्तिनाथ, 5. पार्श्वनाथ एवं 6. आदिनाथ स्वामी का जिनालय। मध्य-भारत के जैन तीर्थ- 165
SR No.023262
Book TitleMadhya Bharat Ke Jain Tirth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrakashchandra Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year2012
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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