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________________ है। पांच बालयती तीर्थंकरों की प्रतिमायें भी एक जगह विराजमान हैं । मध्य की प्रतिमा पद्मासन व शेष कायोत्सर्ग मुद्रा में हैं। 6 अन्य तीर्थंकर प्रतिमायें भी यहाँ विराजमान हैं । चौबीसी जिनालय - यह जिनालय काले पाषाण से निर्मित हैं; जिसकी तीर्थंकर प्रतिमायें भी काले पाषाण से निर्मित हैं; सभी मूर्तियों की अवगाहना 4 फीट हैं। बाहुबली भगवान की प्रतिमा भी यहाँ रखी है । किन्तु ये सभी प्रतिमायें खंडित हैं । जिनालय के स्तंभों पर नृत्य मुद्रा में श्रावक-श्राविकायें उत्कीर्ण हैं। इस जिनालय में दो पद्मासन तीर्थंकर प्रतिमायें 48 दल वाले कमल पर विराजमान है । इनके भी सिर नहीं है । यहाँ शेष जिनालय भग्न दशा में पड़े हैं लगभग 600 जिन - प्रतिमायें परकोटे की दीवाल में टिकाकर रखी हुई है। एक शिलाफलक पर उत्कीर्ण 24 तीर्थंकर प्रतिमाये सही हालत में हैं। मानस्तंभ भी हैं; जिसमें पद्मप्रभु की प्रतिमा है । मध्य-भारत के जैन तीर्थ = 153
SR No.023262
Book TitleMadhya Bharat Ke Jain Tirth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrakashchandra Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year2012
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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