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तीर्थ क्षेत्र चंदेरी एवं खंदार जी
तीर्थ क्षेत्र चंदेरी ललितपुर से 40 किलोमीटर, सेरोन से 20 किलोमीटर, देवगढ़ से 75 किलोमीटर तथा थूबौन से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । चंदेरी एक प्राचीन ऐतिहासिक नगरी है; जिसके खंडहर 10 किलोमीटर दूर तक बिखरे पड़े हैं । यहाँ ऐतिहासिक महत्व की कई प्राचीन इमारतें विद्यमान हैं। वर्तमान में चंदेरी तहसील हैं, जो अशोकनगर जिले के अन्तर्गत आती है। बीनाकोटा रेल्वे लाईन पर मुंगावली व अशोकनगर रेल्वे स्टेशनों से चंदेरी की दूरी क्रमशः 40 व 50 किलोमीटर है। यह कस्बा चारों ओर पक्के सड़क मार्गों से जुड़ा है। यहाँ से खनियाधाना 35 किलोमीटर दूरी पर है। गोलाकोट एवं पचराई जैन तीर्थ क्षेत्रों की दूरी यहाँ से मात्र 40 व 50 किलोमीटर है।
चंदेरी विश्वप्रसिद्ध साड़ियों के लिये तो प्रसिद्ध है ही, यहां के जौहर स्मारक, किला, कोठी, जागेश्वरी मंदिर, सिहपुर महल, रामनगर महल, कोसक महल आदि भी दर्शनीय हैं। इस नगरी में खिन्नी व सीताफल जैसे देशी फल प्रचुर मात्रा में होते हैं ।
चंदे का एक पहाड़ी के पार्श्व भाग पर बसा हुआ है। यहाँ चारों ओर प्राकृतिक सौदर्य बिखरा पड़ा है। समीपस्थ प्राकृतिक झरने, तालाब, छोटी-छोटी कृत्रिम झीलों, प्राचीन बावड़ियां, पत्थर के बने मकान यहाँ के सौंदर्य में चार चांद लगा देते हैं। पहले चंदेरी के चारों ओर पत्थर का विशाल परकोटा था; उसमें 4-5 बड़े-बड़े दरवाजे थे; किन्तु वर्तमान में दरवाजे तो हैं; परकोटा समाप्त हो गया है।
वर्तमान चंदेरी से लगभग 15 किलोमीटर दूर प्राचीन चंदेरी के भग्नाशेष आज भी मौजूद हैं; जिसे आज बूढी चंदेरी के नाम से जाना जाता है। यह जैनियों व जैन मंदिरों की नगरी थी। यहां से आजादी के पूर्व व आजादी के बाद लगातार मूर्तियां की तश्करी होती रही । शेष बची मूर्तियों में से सैंकड़ों जैन प्रतिमायें अब वहाँ से लाकर चंदेरी के शासकीय संग्रहालय में रख दी गईं हैं। नवीन चंदेरी की स्थापना शायद 11वीं शताब्दी में हुई थी ।
1. छोटा जैन मंदिर- यह जिनालय विश्व प्रसिद्ध चौबीसी जैन मंदिर के पास 200-300 गज की दूरी पर स्थित है। यह दो मंजिला जिनालय है । भूमितल पर एक वेदिका व एक प्राचीन मानस्तंभ स्थित है। प्रथम तल पर 5 वेदिकाओं पर बडी संख्या में जिनबिम्ब विराजमान हैं। ये सभी जिनबिम्ब काफी प्राचीन, भव्य व मनोज्ञ हैं; व पद्मासन मुद्रा में स्थित हैं। इस जिनालय में कांच की सुंदर चित्रकारी की गई है।
2. बड़ा जैन मंदिर व चौबीसी - यह एक बड़ा व भव्य जिनालय है । जो पहाड़ी की तलहटी में बस्ती के बीचोंबीच स्थित है । इस विशाल जिनालय में तीन आंगन है। प्रथम आंगन में शास्त्र प्रवचन हॉल, शास्त्र भंडार व पूजन सामग्री कक्ष आदि है। दूसरे आंगन (चौक) में हम एक छोटे से दरवाजे से प्रवेश करते हैं । इस
मध्य-भारत के जैन तीर्थ 149