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छत की ऊँचाई 12 फीट के आस पास होगी। देव रक्षित तीन जिनबिम्ब इस भव्य जिनालय में विराजमान है। इन जिनालय की प्रतिमायें अतिप्राचीन हैं, क्योंकि ये जिन-प्रतिमायें निर्माण शैली की दृष्टि से भिन्न आकार की हैं। इस भव्य व प्राचीन जिनालय में तीन जिन-प्रतिमायें विराजमान हैं, जो पूर्णतः ठीक हालत में हैं व पूज्यनीय हैं। इन प्रतिमाओं पर हीरे की पॉलिश भी नहीं है तथा ये लाल पत्थर से बनी भी नहीं हैं। मध्य में आठ फीट ऊँची भगवान शान्तिनाथ की प्रतिमा है, किन्तु पादमूल में बना चिह्न शूकर प्रतीत होता है। दायें व बायें स्थित जिनबिम्ब भी लगभग साढ़े सात फीट ऊँचाई वाले हैं, दायीं ओर की जिन-प्रतिमा में कोई प्रतीक चिह्न नहीं है। बायीं ओर की जिन-प्रतिमा के नीचे विशिष्ट चिह्न बना है। यह प्रतिमायें परिसर के मध्य में स्थित जिनालय से लाकर यहां प्रतिष्ठित की गई हैं।
'जिनालय क्र. 17- इन जिनालय का द्वार अत्यन्त कलात्मक है, किन्तु पूर्व स्थित जिनालयों से पृथकता लिये हैं। द्वार पर दण्ड सहित देवी-देवताओं के चिह्न उत्कीर्ण हैं। इस जिनालय में स्थित जिनबिम्बों पर रचनाकाल उत्कीर्ण नहीं है। इस जिनालय की सभी मूर्तियां पूज्यनीय व अच्छी हालत में हैं। इन जिनालय में तीन जिनबिम्ब स्थापित हैं। मध्य में छः फीट ऊँची खड्गासन प्रतिमा पर चिह्न नहीं है, जबकि बायीं ओर की जिन-प्रतिमा भगवान अजितनाथ की है व दायीं ओर की जिन-प्रतिमा भगवान वासुपूज्य की है। ये दोनों जिनबिम्ब साढे तीन फीट ऊँचे हैं। इन जिनालय में एक मानस्तंभ का ऊपरी भाग भी रखा है, जिस पर चारों ओर जिनबिम्ब उत्कीर्ण है।
जिनालय क्र. 18- इन जिनालय में सं. 1210 में प्रतिष्ठित जिनबिम्ब विराजमान हैं। मध्य में साढ़े पांच फीट ऊँचाई वाले जिनबिम्ब में चिह्न नहीं हैं, किन्तु मूल प्रतिमा के बायीं ओर एक पद्मासन व दो योगमुद्रा की तथा दायीं ओर भी ऐसी ही छोटी-छोटी जिन-प्रतिमायें उत्कीर्ण हैं। बायीं ओर के जिनबिम्ब पांच-पांच फीट ऊँचे है, जिनके दायीं व बायीं ओर चार-चार छोटी-छोटी मूर्तियां भी उत्कीर्ण हैं। बायीं ओर की दीवाल पर एक छः फीट ऊँची अन्य जिन-प्रतिमा भी इन जिनालय में विराजमान हैं। निर्माण सं. 1210 साफ पढ़ा जा सकता है। . जिनालय क्र. 19- इन जिनालय में प्रतिष्ठित जिनबिम्ब चोरी कर लिये गये हैं। इस जिनालय में वर्तमान में किसी दरवाजे का खण्ड भाग रखा है, जिसमें नौ छोटे-छोटे जिनबिम्ब उत्कीर्ण हैं। मध्य के जिनबिम्ब पदमासन में व बगल के योगमुद्रा में हैं। दरवाजे के बाहर ऊपरी भाग पर 13 जिनबिम्ब उत्कीर्ण
मध्य-भारत के जैन तीर्थ- 139