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________________ 4.5 फीट ऊँची अति मनोज्ञ किन्तु वर्तमान में खंडित अवस्था में हैं। दायीं दीवाल पर 5 फीट ऊँची एक अन्य जिन-प्रतिमा है जो चिह्न रहित है। प्रतिमाओं के शिखर भाग पर 9 जिन-प्रतिमायें (छोटी-छोटी) स्थित हैं। जिनालय क्र. 10- इन जिनालय के बाद बाहर दीवाल से सटी क्षेत्ररक्षक क्षेत्रपाल की प्रतिमा विराजमान है, जो नग्न मुद्रा में है। इनके दायें हाथ में गदा है। शीर्षभाग पर भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा फणावली के साथ उत्कीर्ण है। - जिनालय क्र. 11- इन जिनालय के गर्भगृह में तीन जिन-प्रतिमायें विराजमान हैं। ये सभी जिन-प्रतिमायें चिह्न रहित हैं, व हाथ खंडित कर दिये गये हैं। ये जिन-प्रतिमायें 5 फीट से 6 फीट ऊँची हैं। ऊपर पृथक शिलाखंड नहीं है। जिनालय क्र. 12- इस जिनालय के गर्भगृह में मध्य में पदमासन मुद्रा में भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा (दो फीट) विराजमान है। बायीं ओर भगवान अजितनाथ की व दायीं ओर भगवान धर्मनाथ की प्रतिमा हैं, व लगभग 1.5-1.5 फीट ऊँची हैं। बीच की प्रतिमा खंडित (पैर) हैं, पर दायीं व बायीं ओर स्थित जिन-प्रतिमायें अपने आप में पूर्ण व पूज्यनीय हैं। जिनालय क्र. 13- इस भव्य जिनालय के गर्भगृह में मध्य में पदमासन मुद्रा में लगभग 6 फीट ऊँची भव्य व विशाल जिन-प्रतिमा भगवान पार्श्वनाथ की है। पार्श्व भागों में 5-5 फीट ऊँची (खड्गासन) में दो और प्रतिमायें विराजमान हैं, जिन पर चिह्न नहीं हैं। मध्य की जिन-प्रतिमा पूर्णतः ठीक है, किन्तु पार्श्व भागों की जिन-प्रतिमायें खंडित हैं। जिनालय क्र. 14 इस जिनालय के गर्भगृह में जिनालय क्र. 13 की भांति ही जिन-प्रतिमायें विराजमान हैं, व लगभग 2-2.5 फीट ऊँची हैं। बायीं ओर की जिन-प्रतिमा भगवान नेमिनाथ की है, दाहिनी ओर की जिन-प्रतिमा के नीचे ऊँ सदृश्य चिह्न अंकित हैं। प्रतिष्ठाकाल सं. 1222 लिखा है। सभी खंडित हैं। जिनालय क्र. 15- इन जिनालय के गर्भगृहों में तीन जिनबिम्ब स्थापित हैं। मध्य का जिनबिम्ब 5 फीट ऊँचा है व भगवान मुनिसुव्रतनाथ का है। बायीं ओर धर्मनाथ भगवान की चार फीट ऊँची व दायीं ओर 4 फीट ऊँची भगवान ऋषभनाथ की प्रतिमा विराजमान है। दायीं ओर की दीवाल पर 4 फीट ऊँची एक अन्य योगमुद्रा वाली जिन-प्रतिमा भी विराजमान है, जिस पर पहचान चिह्न अंकित नहीं है। सभी जिन-प्रतिमायें खंडित हैं, किन्तु प्रतिष्ठाकाल सं. 1222 साफ पढ़ा जा सकता है। जिनालय क्र. 16- यह जिनालय अपेक्षाकृत बड़ा है। इन जिनालय की 158 - मध्य भारत के जैन तीर्थ
SR No.023262
Book TitleMadhya Bharat Ke Jain Tirth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrakashchandra Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year2012
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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