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तुम्बवन (तुमैन) खनियाधाना के आसपास एक स्थान तुमैन है। प्राचीनकाल में इसका नाम तुम्बवन था। ग्रीक इतिहासकार टोलमी ने थोलोबन नाम के एक प्राचीन महत्वपूर्ण स्थान के नाम का उल्लेख किया है। वह यही तुम्बवन (तुमैन) था; क्योंकि तुमैन में गुप्त सं. 116 (ई. सं. 435) का एक संस्कृत अभिलेख मिला है। यहाँ जैन मंदिरों के अवशेष व खंडित मूर्तियां मिलती हैं। जिनका निर्माण काल 5वीं से 11वीं सदी के बीच का माना जाता है। यहाँ एक विशाल पद्मासन प्रतिमा अवस्थित है, जो जैन तीर्थंकर की है। स्थानीय लोग इसे बैठादेव के नाम से पूजते हैं।
तेरही गांव में जो महुआ से 2 किलोमीटर व पचराई से 6 किलोमीटर दूर है, कुछ जैन प्रतिमायें खेतों में पड़ी हैं। यहीं 6 फीट ऊँचा एक मानस्तंभ भी है। पुरातत्व संग्रहालय भी यहाँ है। यहाँ 10वीं सदी का नेमिनाथ जिनालय भी होगा; क्योंकि यहाँ के एक स्तंभ पर अम्बिका देवी के मंदिर का उल्लेख है। यह अम्बिका देवी नेमिनाथ भगवान की यक्षिणी थी।
इसके अलावा निवोदा, महुआ, इंदार, सकरी, लखारी, सिमलार आदि समीपस्थ ग्रामों में भी जैन तीर्थंकर प्रतिमायें मौजूद हैं।
अशोक नगर एवं शिवपुरी जिलान्तर्गत स्थित इन सभी जैन तीर्थ-क्षेत्रों पर अनुसंधान व शोध कार्य कराया जाना तथा इनके विषय में प्रमाणिक एवं विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की जानी अति आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है। केन्द्रीय शासन एवं राज्य शासन द्वारा इस सब पुरासंपदा का सम्यक्पे ण संरक्षण किया जाना भी परम आवश्यक है। इन बातों पर अविलम्ब ध्यान न दिये जाने से राष्ट्र को महान क्षति पहुँचेगी जिसके लिये आने वाली पीढ़ियाँ हमें कभी क्षमा नहीं करेंगी।
मम्य-भारत के जैन तीर्थ- 133