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अतिशय क्षेत्र गोलाकोट
घने वन के मध्य पर्वत पर स्थित प्रकृति की गोद में स्थित यह तीर्थ क्षेत्र अतिप्राचीन है । यह क्षेत्र प्रारंभ से ही श्रद्धापरायण, आचारवान और विचारवान धर्मात्माओं का केन्द्र रहा है। बुंदेलखंड प्रान्त के उत्तर-पश्चिम कोने पर चौरासी क्षेत्र स्थित है; जिसकी सीमायें श्री चौरासी दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के संक्षिप्त कार्य विवरण में निम्नानुसार हैं
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"चारू चौरासी लसै भव्य भारत के बीच; पूर्व में जाके वैत्रवन्ती लहराती है। उत्तर में मंजुल मनोज्ञ मधुमती सोहे, सानवान आन जान्हवती दर्शाती है। दक्षिण में उर्वशी शुशोभित मनोज्ञ चन्द्र, प्रतिभा मनोज्ञ उर्वसी सी लजाती है। पश्चिम दिशा में विंध्य अंचल सोहै, ताकी भगिनी चौरासी कहलाती है ।"
इस तरह संपूर्ण चौरासी क्षेत्र प्राकृति सीमाओं से घिरा है। आज की परिस्थितिओं में इस क्षेत्र की सीमाओं को निम्न प्रकार व्यक्त कर सकते हैं । पूर्व दिशा में वेतवा नदी, दक्षिण दिशा में उर ( ओर या उर्वशी नदी) एवं पश्चिम दिशा में विन्ध्याचल की श्रेणियां व उत्तर दिशा में मऊअर (मधुमती) नदी के बीच चौरासी क्षेत्र स्थित है। वर्तमान में ये शिवपुरी जिले की पिछोर, खनियाधाना तहसील के अन्तर्गत है । उपरोक्त भौगोलिक सीमा के अंदर अनेक जैन व जैन तीर्थ क्षेत्र आते हैं; जो अपनी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में असहाय वृद्ध की भांति पड़े हैं व अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं। संस्कृति का इतना तिरस्कार शायद विश्व के किसी दूसरे कोने में देखने को नहीं मिल सकता। ये तीर्थ क्षेत्र उत्तर में पचराई से लेकर दक्षिण में बौन ( खनियाधाना से चंदेरी) तक फैले हैं। इनमें कुछ प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र भियादान्त, वीठला, भामौन, आमनचार, बूढी चंदेरी, गोलाकोट, पचराई, आदि हैं। गुरीलागिरि भी इसी श्रेणी में आता है। ये सभी अतिशय क्षेत्र हैं; जहाँ हजारों की संख्या में मूर्तियाँ आज भी बिखरी पड़ी है। अधिकांश मनोज्ञ व कीमती मूर्तियाँ तस्कारों के हाथों में बिक चुकी हैं। इस धरोहर की रक्षा के नाम पर चंदेरी में मात्र एक वृहद संग्रहालय कुछ वर्षों से स्थापित किया गया है; जहाँ केवल बूढ़ी चंदेरी व आसपास के क्षेत्रों से कुछ सौ मूर्तियाँ संग्रहीत की गई हैं। क्षेत्रों में सुरक्षा का कोई प्रबंध न होने से मूर्तियों की चोरी निरन्तर जारी है।
श्री अतिशय क्षेत्र गोलाकोट चंदेरी- शिवपुरी सड़क मार्ग पर चंदरी से 40 किलोमीटर, बामौर से 20 किलोमीटर, खनियाधाना से 6 किलोमीटर व ललितपुर से या राजघाट नहर से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । क्षेत्र के पास तक पक्की डांवरयुक्त सड़कें हैं। यह क्षेत्र ग्राम गूढर से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । क्षेत्र तक जाने के लिये सीढ़ियां बनी हुई है। तलहटी में एक सुंदर तालाब है व गूढर ग्राम का प्राचीन जिनालय भी पहाड़ पर स्थित है । रास्ते में हरसिंगार के वृक्ष पुष्पों द्वारा यात्रियों का स्वागत करते हैं। पहाड़ी के ऊपर पहुंचते ही चारों ओर घने जंगल के बीच एक वीरान नगर अपने प्राचीन इतिहास को समेटे खंडहरों के रूप में
मध्य-भारत के जैन तीर्थ ■ 131