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जिन-प्रतिमायें विराजमान हैं, जो सं. 1587 की प्रतिष्ठित हैं। एक मूर्ति सं. 1548 की भी है। बाद में सं. 1939 में यहाँ के ऐतिहासिक महत्व, आध्यात्कि साधना हेतु उपयुक्त, प्राकृतिक वातावरण व प्राकृतिक सौन्दर्य देख जबलपुर वासियों ने इस क्षेत्र के विकास का बीड़ा उठाया। 1976 में यहाँ दो गजस्थ सम्पन्न हुये। 1984 में परम पूज्य आचार्य शान्तिसागर जी व गणेश प्रसाद जी वर्णी के प्रवास ने इस क्षेत्र के विकास को तीव्र गति प्रदान की व ये क्षेत्र वर्तमान स्वरूप में आ गया। यहाँ एक जलकुण्ड है; जिसे वर्णीकुंड कहा जाता है। पहले यहाँ एक गड्ढा था; किन्तु आजकल इसमें पर्याप्त जल रहता है। इस क्षेत्र में वर्तमान में 15 से अधिक जिनालय स्थित हैं।
1. पहाड़ी की तलहटी में धर्मशालाओं के पास भगवान महावीर स्वामी का एक भव्य व आकर्षक जिनालय है; जिसमें भगवान महावीर स्वामी की,6 फीट अवगाहना की श्वेत धवल प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में विराजमान है। अन्य दर्जनों प्रतिमायें भी वेदिका पर आसीन है। इसकी प्रतिष्ठा वीर नि. सं. 2484 में हुई थी।
2. जिनालय के आगे संगमरमर का विशाल मानस्तंभ स्थित है। इसकी ऊँचाई लगभग 40-45 फीट होगी। शीर्ष भाग पर चारों दिशाओं में चार तीर्थंकर प्रतिमायें इस मानस्तंभ पर विराजमान हैं।
3. महावीर जिनालय के पीछे एक आलीशान, भव्य व गोलाकार विशालकक्ष में नंदीश्वर द्वीप की रचना बनी हुई है। दर्शक इसकी कला को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता है। इसमें नंदीश्वर द्वीप स्थित 52 जिनालय बने हुये हैं। रचना गोलाकार है। रात्रि में इस जिनालय के ऊपर जगमगाते तारों के नीचे यह रचना अत्यन्त मनोहारी लगती है।
4. पद्मप्रभु जिनालय- पहाड़ी पर चढ़ते समय बायीं ओर दो जिनालय बने हुये है। इनमें से प्रथम जिनालय भगवान पद्मप्रभु का है। यह जिनालय पहाड़ी रास्ते के मध्य में बना है। इस जिनालय में वीर नि. सं. 2483 में प्रतिष्ठित भगवान पद्मप्रभु की प्रतिमा विराजमान है।
5. मध्य में बना दूसरा जिनालय भगवान शान्तिनाथ जिनालय के नाम से जाना जाता है। इस जिनालय में छोटी किन्तु भव्य भगवान शान्तिनाथ की प्रतिमा आसीन है।
6. पार्श्वनाथ जिनालय- पहाड़ी के मध्य भाग में ही सीढ़ीदार मार्ग के दायीं ओर भी दो जिनालय बने हैं। इनमें से प्रथम जिनालय भगवान पार्श्वनाथ स्वामी का है। यह विशाल जिनालय अंदर कलात्मक रंगीन कांच से बना है। भगवान पार्श्वनाथ की काले पाषाण की फणावली युक्त पद्मासन प्रतिमा इस आलीशान, भव्य जिनालय में विराजमान है।
7. एक और छोटा सा जिनालय भी दायीं ओर बना हुआ है। इसमें 1 फीट 10 इंच ऊँची कमलासन पर विराजमान भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा प्रतिष्ठित है। 8. पहाड़ी के मध्य में ही पार्श्वनाथ जिनालय के पीछे खुले आसमान में
मध्य-भारत के जैन तीर्थ - 125