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अतिशय क्षेत्र पटेरिया
श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र पटेरिया जी सागर - दमोह सड़क मार्ग पर स्थित तहसील गढ़ाकोटा के समीप स्थित है। यह क्षेत्र गढ़ाकोटा से मात्र 1-1.5 किलोमीटर की दूरी पर पक्के सड़क मार्ग से जुड़ा है व क्षेत्र तक सड़क जाती है । यह क्षेत्र एक विशाल परिसर में स्थित है। इस विशाल परिसर में एक जैनधर्मशाला व कार्यालय के साथ विशाल मैदान है ।
1. इसी परिसर में एक भव्य व आलीशान मानस्तंभ स्थित है। जो मानियों के मानभंग का सशक्त माध्यम है। इस विशाल परिसर में एक परकोटे के अंदर एक विशाल व भव्य जिनालय स्थित है। इस भव्य जिनालय के मध्य में गर्भगृह स्थित है।
2. गर्भगृह में भगवान पार्श्वनाथ की तीन विशाल भव्य प्रतिमायें विराजमान हैं; जिनके दर्शन मात्र से दर्शनार्थियों को अपूर्व शान्ति का अनुभव होता है । ये प्रतिमायें देशी पाषाण से निर्मित हैं; व 19वीं सदी की बनी हैं। प्रतिमायें लाल पाषाण पर उकेरी गईं हैं। मध्य की प्रतिमा की ऊँचाई पार्श्ववर्ती मूर्तियों से कुछ अधिक है। सभी प्रतिमायें आकर्षक, मनोज्ञ व अतिशयकारी हैं। ये प्रतिमायें 6 फीट से 7 फीट ऊँची पद्मासन मुद्रा में आसीन हैं। इन प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा एक भट्टारक महोदय ने की थी । पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के बाद आयोजित प्रीतिभोज में जनसैलाब उमड़ने के परिणाम स्वरूप भोजनशाला में घी कम पड़ गया । जब भट्टारक जी के पास यह समाचार पहुँचा तो वे लोक निंदाभय से जोर-जोर से रोने लगे व प्रतिमाओं के समीप पहुँच विनती करने लगे; तब उन्हें एक शान्ति संदेश मिला कि पास स्थित कुंड में जल भरा है उसे कड़ाही में डालते जाओ पूडियां तलते जाओं । भट्टारक जी ने व्यवस्थापकों को ऐसा ही करने का आदेश दिया। व्यवस्थापकों ने वैसा ही किया। देखते ही देखते सारी अव्यवस्थायें व्यवस्थाओं में बदल गई व समस्त आगन्तुकों ने प्रेम पूर्वक भरपेट भोजन किया । तभी से यह क्षेत्र अतिशय क्षेत्र के रूप में विख्यात हो गया। गर्भगृह में ही वेदिका पर एक जहरीला नाग बना. हुआ है, जो अपना मुँह फाड़े है। उस मुँह में भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा उत्कीर्ण है। यह दृश्य दर्शकों को रोमांचित कर देता है । वेदिका के चारों ओर परिक्रमा पथ नहीं है; क्योंकि तीनों प्रतिमायें सामने की दीवाल पर स्थित हैं । अतः गर्भगृह से निकलकर ही वेदिका की परिक्रमा की जा सकती है। यहाँ स्थित ये प्रतिमायें अपने आप में अनोखीं व अद्भुत हैं ।
3. इस परिक्रमा पथ पर बाईं ओर काले पाषाण की खड्गासन मुद्रा में लगभग 6 फीट ऊँची भगवान पार्श्वनाथ की अतिमनोज्ञ प्रतिमा स्थापित है ।
मध्य-भारत के जैन तीर्थ 121