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30. भगवान पार्श्वनाथ जिनालय- यहाँ से आगे बढ़ते हुये यात्री बायीं तरफ दरवाजे में प्रवेश करते हैं व एक अन्य अहाते में पहुँचते हैं। इस अहाते में दो जिनालय स्थित हैं। इस प्रथम जिनालय में भगवान पार्श्वनाथ की अतिमनोज्ञ व प्राचीन प्रतिमा विराजमान हैं। प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में लगभग 4 फीट अवगाहना वाली है। भगवान मुतिसुव्रतनाथ जिनालय की भांति इस जिनालय में भी प्रतिमाओं के ऊपर दीवाल में ही प्रत्येक मूर्ति के ऊपर शिखर बनाये गये हैं। यह प्रतिमा 11 फणों से मंडित है व सं. 1548 में प्रतिष्ठित है। इस प्रतिमा के दोनों ओर 4 जिनबिम्ब और स्थापित हैं। ये सभी जिनबिम्ब पद्मासन मुद्रा में 1 फीट से 1.5 फीट ऊँचे व सं. 1548 में ही प्रतिष्ठित है। जिनालय का शिखर दर्शनीय है।
31. पार्श्वनाथ जिनालय- अहाते का यह दूसरा जिनालय है; जो प्रथम जिनालय से लगा हुआ बना है। इस जिनालय में भगवान पार्श्वनाथ की श्यामवर्ण प्रतिमा जिसकी अवगाहना लगभग 3 फीट होगी; मूलनायक के रूप में विराजमान हैं। मूर्ति का प्रतिष्ठाकाल सं. 1837 है। मूलनायक के पार्श्व भागों में 2.5 फीट फीट ऊँचे दो जिनबिम्ब और विराजमान है। दो अन्य छोटे-छोटे जिनबिम्ब भी वेदिका पर प्रतिष्ठित हैं। ये लगभग 1.5 फीट ऊँचे हैं। इसके अलावा दो अन्य जिनबिम्ब भी यहाँ स्थापित हैं। .
32. सहस्रफणी भगवान पार्श्वनाथ जिनालय- वापिस आने पर हम एक भव्य, चित्ताकर्षक, मनोज्ञ व विश्मयकारी जिनालय में प्रवेश करते हैं। यह जिनालय सहस्रफणी भगवान पार्श्वनाथ जी का है। यहाँ आकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाता है। इस जिनालय में भगवान पार्श्वनाथ की चार विशालकाय, अतिशयकारी सभी 1008 फणों वाली प्रतिमायें प्रतिष्ठापित हैं। ये सभी प्रतिमायें एक पंक्ति में विराजमान न होकर एक नीचे, एक ऊपर व दो दायें-बायें व मध्य में विराजमान हैं। दर्शन कर श्रद्धालु का मन गदगद हो जाता है व उसका मन यहाँ से हटने को नहीं करता।
सभी प्रतिमायें कलापूर्ण, अतिमनोज्ञ व पद्मासन मुद्रा में आसीन हैं। इस जिनालय में 18 अन्य जिनबिम्ब भी विराजमान हैं, सभी मूर्तियाँ कृष्ण वर्ण की हैं। मूर्तियाँ की अवगाहना 4 से 5 फीट के मध्य है। सभी प्रतिमायें सं. 1892 में प्रतिष्ठित हैं। फण मंडप मूर्ति के सिर व भुजाओं को तीन ओर से घेरे हैं। इस वेदी पर विराजमान तीन जिनबिम्ब सं. 1548 के हैं। ____33. भगवान महावीर जिनालय- यह इस तीर्थ-क्षेत्र का अंतिम व विशाल जिनालय है। जिसमें संभवतः भारत की सबसे बड़ी पद्मासन प्रतिमा भगवान महावीर स्वामी की है। यह जिनालय भी अपने आप में अद्भुत जिनालय है। इस जिनालय में लगभग 14 फीट ऊँची व 11 फीट चौड़ी भगवान महावीर स्वामी की विशाल प्रतिमा प्रतिष्ठित है। मूर्ति की भाव-भंगिमा देखते ही बनती है। इस विशाल मूर्ति के पार्श्व में दो प्रतिमायें; जो आकार में काफी छोटी हैं, भगवान
114 - मध्य-भारत के जैन तीर्थ