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___16. महावीर जिनालय- इस जिनालय में भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा के अतिरिक्त 2 और अरिहन्त प्रतिमायें भी विराजमान है।
17. इस जिनालय में तीन तीर्थंकर प्रतिमायें विराजमान हैं। प्रतिमाओं पर चिह्न नहीं है। ___18. पद्मप्रभु जिनालय- इस जिनालय में मूलनायक के रूप में भगवान पद्मप्रभु की प्रतिमा विराजमान है। वेदिका पर 7 अन्य जिनबिम्ब भी प्रतिष्ठापित हैं।
19. चन्द्रप्रभु जिनालय- इस जिनालय में विराजमान सभी तीनों प्रतिमायें भगवान चन्द्रप्रभु की हैं ।
20. पुष्पदन्त जिनालय- इस जिनालय में लगभग 2.5 फीट अवगाहना की भगवान पुष्पदन्त की प्रतिमा विराजमान है।
21. अभिनंदन नाथ जिनालय- इस जिनालय में 3 फीट ऊँची भगवान अभिनंदन नाथ की प्रतिमा विराजमान है।
22. आदिनाथ जिनालय- इस जिनालय में सभी तीन प्रतिमायें भगवान आदिनाथ की हैं। जो अतिमनोज्ञ हैं।
23. पारसनाथ जिनालय- इस जिनालय में 2 फीट अवगाहना की भगवान पार्श्वनाथ की पद्मासन मूर्ति विराजमान है।
24. इस जिनालय में भी भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा विराजमान है।
25. चन्द्रप्रभु जिनालय- इस जिनालय में मूलनायक के रूप में भगवान चन्द्रप्रभु की प्रतिमा विराजमान है। इस जिनालय में 5 अन्य तीर्थंकर प्रतिमायें भी स्थापित हैं।
26. त्रिमूर्ति जिनालय- कायोत्सर्ग मुद्रा में स्थित अतिमनोज्ञ व प्राचीन प्रतिमायें भगवान आदिनाथ, भरत व बाहुवली भगवंतो की हैं। ___27. आगे बढ़ते हुये हम एक बरामदे में पहुँचते हैं। यहाँ तीन दालानों में जो खंबों पर खुले रूप में स्थित हैं; कुछ विचित्र जिनालय स्थित हैं। ऐसे जिनालय भारत में अन्यत्र देखने को नहीं मिलते। ऐसे जिनालयों के निर्माण के पीछे का कारण भी समझ में नहीं आता। छोटी कुर्सीनुमा या मिट्टी से बने छोटे सिंहासन नुमा (जिनका आकार लगभग 1.5x1.5 फीट से भी कम होगा) जिनालयों में जो दालान के निचले हिस्से पर निर्मित हैं; सिंहासन पर जिन-प्रतिमा विराजमान हैं।
28. इसी के आगे पुनः इसी आकृति के वैसे ही जिनालय में जिन-प्रतिमा विराजमान हैं।
29. इसी के आगे पुनः ऐसी ही कलाकृति देखने को मिलती है। जिसमें जिनबिम्ब स्थापित हैं। ये रचनायें दालान के फर्श 'तल' से मात्र 1-2 फीट की ऊँचाई पर स्थित हैं।
मध्य-भारत के जैन तीर्थ- 113