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________________ अतिशय क्षेत्र रहेली-पटनागंज टीकमगढ द्रोणगिरि /छतरपुर खजुर । पपारा अतिशय क्षेत्र पटनागंज रहली पहुँचमार्ग अहार जीवडामलहरा 13 दलपतपुर 12 नागिरि हीरापुर कुंडलपुर सवारा (जनारी सागर दमोह + + परियाजी 31 18नताकोटा) अभाना काकागज बहोरीबंद (रहली पटनागंज 105 farer तेन्दूखेडा 120 देवरी /go सिद्ध क्षेत्र अतिशय क्षेत्र जिला मुख्यालय तहसील मुख्यालय रेल मार्ग मङ्गक मार्ग बाना बारहा कोनीजी जबलपुर मनिया रजी नरसिंहपुर यदि किसी को दुर्लभ प्रतिमाओं, विचित्र व विशिष्ट चैत्यालयों, प्राचीन विशालकाय जिन-प्रतिमाओं एवं अनोखे, भव्य व चित्ताकर्षक विशालतम सहस्रकूट चैत्यालय के दर्शन करने हों; तो ऐसे श्रद्धालुओं को यहाँ अवश्य आना चाहिये। यहां विचित्र समवशरण बने हुये हैं। ____ यह एक अत्यन्त प्राचीन ऐतिहसिक, मनोज्ञ अतिशय क्षेत्र है। यह क्षेत्र सागर दमोह रोड़ पर स्थित गढ़ाकोटा तहसील मुख्यालय से व पटेरिया अतिशय क्षेत्र से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बीनावारा क्षेत्र से इस क्षेत्र की दूरी महज 40 किलोमीटर है। देवरी से यह 45 किलोमीटर दूर है। यह रहेली तहसील मुख्यालय में ही स्थित है; किन्तु क्षेत्र को पटनागंज के नाम से जाना जाता है। यह तीर्थ-क्षेत्र दमोह से 53 किलोमीटर व सागर से 42 किलोमीटर दूर है। रहली तक अनेक बसें आती जाती रहती हैं। यह तीर्थ-क्षेत्र सुवर्णभद्र नदी के तट पर स्थित है। . इस प्राचीन अतिशय क्षेत्र पर कई प्राचीन रचनायें देखने को मिलती है। क्षेत्र पर कभी-कभी चंदन वृष्टि होना, लोगों के दुख-दर्द दूर होना, श्रद्धालुओं की मनोदशा में सकारात्मक परिवर्तन होना इस क्षेत्र के प्रमुख अतिशय है। मुगल शासकों द्वारा क्षेत्र पर विध्वंश की भावना से किये गये हमलों के समय अचानक मधुमक्खियों द्वारा आक्रमण किये जाने से विध्वंसकों का भाग खड़े होना, 1950 में बड़े बाबा का गंधोदक लगाने से लोकमन पुजारी की नेत्र ज्योति वापिस आ जाना, कई साधु-संतों के वैराग्य का कारण बनना इस क्षेत्र के अन्य अतिशय हैं। 110 - मध्य भारत के जैन तीर्थ
SR No.023262
Book TitleMadhya Bharat Ke Jain Tirth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrakashchandra Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year2012
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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