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किया गया है; जहां 24 तीर्थंकरों के प्रतिष्ठित जिनबिम्ब 24 वेदिकाओं पर पृथक-पृथक विराजमान हैं। चौबीसी के मध्य में भगवान चन्द्रप्रभु की लगभग 5 फीट ऊँची धातु निर्मित प्रतिमा को प्रतिष्ठित किया गया है। धातु निर्मित इतनी विशाल मूर्ति आसपास कहीं नहीं हैं । मूर्ति की भव्यता देखते ही बनती है।
2. वापिस आने पर दर्शनार्थी जिनालय क्रमांक दो में प्रवेश करता है; जहां शान्तिप्रदायक भगवान शान्तिनाथ की भव्य व विशाल प्रतिमा के दर्शन करते ही मन को परम शान्ति का अनुभव होता है । यह प्रतिमा संगमरमर निर्मित नवीन एवं भव्य है । प्रतिमा अतिमनोज्ञ व धवल वर्ण की है। प्रतिमा की अवगाहना लगभग 4.5 फीट है ।
3. तीसरा जिनालय भगवान बाहुबली का है। जहां ऋषभपुत्र भगवान बाहुबली की अतिमनोज्ञ लगभग 6 फीट ऊँची धवल संगरमर से निर्मित प्रतिमा खड्गासन मुद्रा में आसीन है ।
4. चौथा जिनालय पार्श्वनाथ जिनालय है। यहां भगवान पार्श्वनाथ की सुंदर लगभग 5 फीट ऊँची भव्य जिन-प्रतिमा स्थापित है। यह जिनालय भी नवनिर्मित है । यह प्रतिमा भी कृष्ण वर्ण की है
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5. भोंयरा - यह अतिशयकारी जिनालय है । इस जिनालय में आने-जाने हेतु दो छोटे-छोटे दरवाजे हैं; जहां कुछ सीढ़ियां उतरकर जाना पड़ता है । जिनालय में पहुँचते ही श्रद्धालु का मन शान्ति से भर जाता है व उसे अपूर्व सुख का अनुभव होता है। इस जिनालय में भगवान आदिनाथ की लगभग 4-4.5 फीट ऊँची काले पाषाण की अतिप्राचीन व मनोज्ञ मूर्ति विराजमान है साथ ही अजितनाथ एवं संभवनाथ भगवान के प्राचीन जिनबिम्ब भी यहां स्थापित हैं । इसके अलावा बालयति तीर्थंकर मल्लिनाथ एवं नेमिनाथ की प्रतिमायें भी यहां विराजमान हैं; जिनकी शोभा देखते ही बनती है । यहीं सामने की वेदी पर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा के बगल में अतिशयकारी सुख-शान्तिप्रदायक, मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली, भव्यजनों को निज अनुभूति प्रदान करने वाली 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की अतिभव्य फणावली सहित प्रतिमा विराजमान है। दर्शन कर यहां से हटने का मन नहीं करता; इतनी अद्भुत शान्ति की अनुभूति दर्शकों को यहां आकर होती है ।
6. चन्द्रप्रभु जिनालय - आगे भोंयरे के दाहिनी ओर मूलनायक भगवान चन्द्रप्रभु का जिनालय है; जिसमें और भी अनेक मूर्तियां विराजमान हैं ।
7. आगे जाकर हम महावीर जिनालय में प्रवेश करते हैं। जहां वेदी पर मूलनायक के रूप में अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा प्रतिष्ठित है । वेदी पर अन्य अनेक मूर्तियां भी प्रतिष्ठित हैं ।
8. शीतलनाथ जिनालय दाईं ओर स्थित जिनालयों में यह अंतिम
मध्य-भारत के जैन तीर्थ 99