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कल्याण रचित हितशिक्षा - बत्तीसी, लक्ष्मीवल्लभ रचित राजबत्तीसी, जिनहर्ष रचित ऋषि - बत्तीसी ।
जिनहर्ष रचित आहार - दोष - छत्तीसी, श्रीसार रचित आगमछत्तीसी, ज्ञानमेरु रचित कुगुरु-छत्तीसी, धर्मवर्धन रचित गुरुशिष्यदृष्टान्त छत्तीसी, सवा सौ सीख छत्तीसी, समयसुन्दर रचित प्रस्ताव सवैया छत्तीसी, सत्यासिया दुष्काल वर्णन - छत्तीसी, क्षमा-छत्तीसी, शील- छत्तीसी ।
जयचंद रचित कवित्त बावनी, धर्मवर्धन रचित छप्पय बावनी, कुंडलिया - बावनी, मुनिवस्ता रचित अन्योक्ति - बावनी, रघुपति रचित छप्पय - बावनी, जिनहर्ष रचित मातृका - बावनी, महिमसिंह रचित योग - बावनी |
सहजकीर्ति रचित व्यसन सत्तरी, श्रीसार रचित उपदेश - सत्तरी, जिनहर्ष रचित समकित -सत्तरी ।
श्रीसार रचित उत्पत्ति बहुत्तरी, जिनहर्ष रचित नंद बहुत्तरी, चिदानन्द रचित पद - बहुत्तरी, ज्ञानसार रचित पद- बहुत्तरी, जिनरंगसूरि रचित रंग बहुत्तरी ।
जयचंद रचित सईकी ।
(e) साम्प्रदायिक सहिष्णुता
खरतरगच्छ स्वयं एक सम्प्रदाय है, किन्तु वह सम्प्रदाय - विशेष में आबद्ध नहीं है । वह न केवल अन्य गच्छों के प्रति, अपितु अन्य धर्मपरम्पराओं के प्रति भी अपनत्व रखता है । साम्प्रदायिक सहिSणुता और उदारता खरतरगच्छ की निजी विशेषता है । इसके अनुसार जब तक आँखों से साम्प्रदायिक संकीर्णता एवं आग्रहवादिता की पट्टी नहीं हटाई जायेगी, तब तक व्यक्ति या समाज सत्य- दर्शन नहीं कर पायेगा |
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