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________________ (१८) पर्व-सम्बन्धित-साहित्य : जैनधर्म में प्रतिवर्ष भिन्न-भिन्न प्रकार के धार्मिक त्यौहार मनाये जाते हैं। जैन लोग धार्मिक पर्यो के दिन अन्य धार्मिक क्रियाओं के साथ गुरु-महाराजों के मुख से पर्वसम्बन्धित प्रवचन भी सुनते हैं। खरतरगच्छीय विद्वानों ने विशाल पैमाने में पर्व-सम्बन्धित साहित्य का गुम्फन किया है। उल्लेखनीय प्रन्थों के नाम इस प्रकार हैं—महोपाध्याय समयसुन्दर कृत दीपमालिका-काव्य, उपाध्याय क्षमाकल्याण कृत चातुर्मासिक-व्याख्यान, आनन्दवल्लभ कृत अष्टाह्निका व्याख्यान, आनन्दसागरसूरि कृत द्वादश पर्व-व्याख्यान आदि । (१९) गुर्वावली एवं पट्टावली-साहित्य :-खरतरगच्छ की पट्टपरम्परा सुविशाल है। अनेक विद्वानों ने अपनी गुरु-परम्परा का विस्तृत विवेचन प्रस्तुत किया है। कतिपय विद्वानों ने अपनी गुरुपरम्परा का उत्स भगवान् महावीर से जोड़ा है। बहुत से विद्वानों ने आचार्य जिनेश्वरसूरि और आचार्य वर्धमानसूरि से अपनी गुरु-परम्परा का सम्बन्ध योजित किया है। वस्तुतः आचार्य जिनेश्वरसूरि या वर्धमानसूरि भगवान महावीर की शिष्य-परम्परा की ही एक कड़ी है। ऐतिहासिक दृष्टि से गुर्वावलियों एवं पट्टावलियों का महत्त्व निर्विवाद है। खरतरगच्छ की सर्वाधिक प्रामाणिक पट्टावली/गुर्वावली उपाध्याय जिनपाल कृत खरतरगच्छालंकार-युगप्रधानाचार्य-गुर्वावली मानी जाती है। उपाध्याय क्षमाकल्याण लिखित खरतरगच्छ-पट्टावली भी काफी महत्त्वपूर्ण है। इनके अतिरिक्त गुर्वावली एवं पट्टावलीसाहित्य के अन्तर्गत उपाध्याय समयसुन्दर कृत खरतरगच्छ-पट्टावली, उपाध्याय गुणविनय कृत खरतरगच्छ गुर्वावली, ऋद्धिसार कृत महाजनवंश मुक्तावली उल्लेखनीय हैं। _ (२०) औपदेशिक साहित्य :-इसके अन्तर्गत हम खरतरगच्छ के उस साहित्य की चर्चा करना चाहेंगे जिसमें वैराग्यमूलक एवं नीति ३८
SR No.023258
Book TitleKhartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherAkhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
Publication Year1990
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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