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धन्ना-शालिभद्र-चौपाई, करमचंद-वंशावली-रास, अंजनासुन्दरी प्रबन्ध, नयसमुद्र-शिष्य कृत जिनप्रतिमा-वृहत् रास, जयनिधान कृत कामलक्ष्मी-कथा-चौपाई-प्रबन्ध, कनकसोम कृत आर्द्र कुमार धमाल, हीरकलश कृत अर्हहास-चौपाई, रंगकुशल कृत अमरसेन-वयरसेन सन्धि, जिनहर्ष कृत हरिश्चन्द्र रास, अभयकुमार रास, आरामशोभा चौपाई, उपमिति-भवप्रपंच-कथारास, कुमारपाल रास, रत्नशेखर-रत्नावती रास, विद्याविलास रास, नयप्रमोद कृत अरहन्नक-प्रबन्ध, विद्याविलास कृत अर्जुनमाली चौपाई, राजसोम कृत उंदर-रासो, विनयचन्द्र कृत उत्तमकुमार चौपाई, मतिकुशल कृत चन्द्रलेहा चौपाई, अभयसोम कृत चन्द्रोदय-कथा, जिनसुन्दरसूरि कृत भीमसेन चौपाई, सुमतिधर्म कृत भुवनानन्द-चौपाई, खेता कृत भोसउ रासो, रघुपति कृत रुघरास, कीर्तिवर्धन कृत सुदर्शन चौपाई, अभयसोम कृत वस्तुपाल-तेजपाल रास, दयातिलक कृत विक्रमादित्य चौपाई, कुशलसागर कृत वीरमाणउदयभाण चौपाई, लालचन्द कृत श्रीपाल रास, फकीरचन्द कृत बुड्ढा रास, गिरधरलाल कृत पदमण रासो, खुश्यालचन्द कृत अरहदास चौपाई आदि।
(१७) भक्तिपरक-साहित्य :-खरतरगच्छ का भक्तिपरक साहित्य अपरिमित है। भक्त कवियों एवं विद्वान् मुनिराजों ने तीर्थकरों के प्रति जो भाव-उर्मियां व्यक्त की हैं, वे इतनी जीवन्त हैं कि व्यक्ति को सहज ही भक्ति-सागर में रसलीन कर देती हैं । भाव, अलंकार, शंली, लयसभी आकर्षक एवं प्रभावोत्पादक हैं।
खरतरगच्छ में हिन्दी भाषी भक्त कवियों में सर्वप्रथम महोपाध्याय समयसुन्दर का नाम उल्लेख्य है। उनके पांच सौ से अधिक भक्तिपरक गीत अब तक उपलब्ध हो चुके हैं। खरतरगच्छीय भक्ति काव्य परम्परा में दो कवियों के नाम यहाँ विशेष उल्लेखनीय हैं, वे है योगीराज आनन्दघन एवं उपाध्याय देवचन्द्र। समग्र जैन भक्त कवियों