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________________ रचित वातशितम्, गुणविलास कृत गुणरत्नप्रकाशिका, रघुपति कृत भोजन - विधि, हंसराज पिप्पलक लिखित मूत्र - लक्षण, रत्नजय लिखित योगचिन्तामणि बालावबोध, रामचन्द्र कृत रामविनोद वैद्यक, चैनसुख लिखित वैद्य जीवन स्तवक | (१३) ज्योतिषी - साहित्य :- स्वाभाविकतया मानव अपने भविष्य को जानने का इच्छुक रहता है। ज्योतिष-शास्त्र इस कार्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है । यद्यपि जैन दर्शन के अनुसार फलसिद्धान्त कर्मवाद पर आधारित है, तथापि ज्योतिष विद्या को निर्विवाद रूप से स्वीकार किया गया है । खरतरगच्छीय साहित्यकारों ने इस विषय पर गहनतम विवेचन किया है और महत्त्वपूर्ण उपलब्धि अर्जित की है । ज्योतिष साहित्य से सम्बन्धित खरतरगच्छीय प्राचीनतम ग्रन्थ बर्धमानसूर (१२वीं शती) का शुकनरत्नावली उपलब्ध है । ज्योतिष सम्बन्धित उल्लेखनीय एवं सर्वाधिक ग्रन्थ खरतरगच्छीय मुनियों ने १८वीं शताब्दी में लिखे हैं । इस शताब्दी में लिखित ३० से अधिक प्रन्थ अधुना उपलब्ध हैं । ज्योतिष सम्बन्धित खरतरगच्छीय महत्त्वपूर्ण साहित्य निम्न है - वर्धमानसूरि रचित शुकनरत्नावली, मुनिसुन्दर रचित करणराज गणित, लक्ष्मीवल्लभ रश्चित कालज्ञानभाषा, रायचन्द्र रचित अवयदी शकुनावली, लाभवर्द्धन रचित अङ्कप्रस्तार, हीरकलश रचित जोइसहीर, पुण्यतिलक रचित ग्रहायु, महिमोदय रचित ज्योतिषरत्नाकर, पंचांगानयनविधि, प्रेम ज्योतिष, जन्मपत्री पद्धति, कीर्तिवर्द्धनः रचित जन्म- प्रकाशिका - ज्योतिष, रामविजय रचित मुहूर्तमणिमाला, भूधरदास रचित भौधरी - प्रहसारणी, रामचन्द्र रचित सामुद्रिक भाषा, चिदानन्द रचित स्वरोदय । (१४) महाकाव्य तथा टीका - साहित्य :- खरतरगच्छ की विद्वद्वपरम्परा ने महाकाव्य एवं टीका - साहित्य की सैकड़ों कृतियाँ माँ भारती के मण्डार के लिए अर्पित की है, जिनका इतिहास, समाज एक ३३
SR No.023258
Book TitleKhartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherAkhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
Publication Year1990
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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