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________________ विशेष नाममाला और चारित्रसिंह कृत अभिधान चिन्तामणि नाममाला आदि नाम उल्लेखनीय हैं। खरतरगच्छीय विद्वानों ने विभिन्न - कोशों पर टीका - प्रन्थ भी लिखे हैं । उल्लेखनीय टीकाएँ हैं- जिनप्रभसूरि रचित अनेकार्थ-संग्रह- टीका, धर्मवर्धन रचित अमरकोष टीका, उपाध्याय श्रीवल्लभ रचित हैमनिघण्टु कोष टीका । (८) काव्य- लक्षण - छन्द - साहित्य :- साहित्य एवं काव्य-क्षेत्र में खरतरगच्छ का अनुदान विशेष उपलब्धिपूर्ण है । काव्य के लक्षणों, छन्दों के नियमों का खरतरगच्छीय विद्वानों ने पूर्ण विवरण दिया है । 'छन्दोनुशासन' इस सन्दर्भ में एक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है । कुशललाभ का पिङ्गलशिरोमणि संस्कृत छन्द शास्त्र का सबसे पहला और अत्यन्त महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ पिंगलऋषि प्रणीत छन्दः शास्त्र पर आधारित है। प्रसिद्ध छन्दशास्त्रीय ग्रन्थ 'वृत्तरत्नाकर' पर क्षेमहंस, उपाध्याय मेरुसुन्दर और समयसुन्दर के महत्त्वपूर्ण व्याख्या - प्रन्थ उपलब्ध हुए 'हैं। 'वाग्भटालंकार' पर जिनवर्धनसूरि, क्षेमहंस, उदयसागर, ज्ञानप्रमोद, राजहंस, समयसुन्दर, साधुकीर्ति, मेरुसुन्दर आदि विद्वान् मुनियों की टीकाएँ प्राप्त हुई हैं । विदग्धमुखमण्डन पर जिनप्रभसूरि मेरुसुन्दर, श्रीवल्लभ, शिवचन्द्र, विनयसागर की व्याख्याएँ उपलब्ध हुई हैं । काव्य-लक्षण छन्द से सम्बन्धित जो और भी प्रन्थ प्राप्त हुए हैं, उनमें से कुछेक के नाम निम्नलिखित हैं-बुद्धिसागरसूरि का छन्दशास्त्र, वाचक धर्म नन्दन का द्वन्दस्तत्त्वसूत्र, जिनप्रबोधसूरि का वृत्तप्रबोध, ज्ञानसार का मालापिंगल, मन्त्रिमण्डन का अलंकारमण्डन, ज्ञानमेरु का कविमुखमण्डन, गुणरत्न का काव्यप्रकाशटीका, कीर्तिवर्द्धन का चतुरप्रिया, उदयचन्द्र का पाण्डित्यदर्पण, अनूपगार, महिम सिंह का रसमंजरी आदि । (९) संगीत - साहित्य : - बाहड़ के पुत्र मन्त्रि मण्डन न केवल -खरतरगच्छ के, वरन् समप्र भारतीय विद्वत् जगत् के अनूठे कोहिनूर ३१
SR No.023258
Book TitleKhartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherAkhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
Publication Year1990
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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