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________________ शीघ्रबोधगम्य बनाने का प्रयास किया। उन्होंने अपनी मौलिक दृष्टियां भी प्रदान की। 'प्रमालक्ष्म' जैसा अद्वितीय दार्शनिक प्रन्थ खरतरगच्छ ने ही प्रदान किया है। यहां हम कतिपय विशिष्ट प्रन्थों का उल्लेख कर रहे हैं__ आचार्य जिनेश्वरसुरि कृत प्रमालक्ष्म, देवभद्रसूरि कृत प्रमाणप्रकाश, जिनप्रबोधसूरि कृत पंजिकाप्रबोध, सोमतिलकसूरि कृत षड्दर्शन समुच्चय टीका, दयारत्न कृत न्यायरत्नावली, सुमतिसागर कृत तत्त्वचिन्तामणि टिप्पणक, गुणरत्न कृत तर्कभाषा प्रकाश, तर्कतरंगिणी, उपाध्याय समयसुन्दर कृत मङ्गलवाद, चारित्रनन्दी कृत स्याद्वाद-पुष्पकलिका-स्वोपज्ञ-टीका-सह । (६) व्याकरण-साहित्य :-व्याकरण पर पचासों खरतरगच्छीय विद्वानों ने अपनी कलम चलाई है। खरतरगच्छ में अनेकानेक उद्भट वैयाकरण पंडित हुए हैं। आचार्य बुद्धिसागरसूरि ने तो पाणिनी और हेमचन्द्र की तरह स्वतन्त्र संस्कृत-व्याकरण परिगुम्फित किया था। अन्य भी अनेक छोटे-बड़े व्याकरण-प्रन्थ लिखे गये। यथाबुद्धिसागरसूरि कृत शब्द-लक्ष्म-लक्षण, मन्त्रिमण्डन कृत उपसर्गमण्डन, सारस्वत-मण्डन, जिनचन्द्रसूरि कृत सिद्धान्तरनिका व्याकरण, उपाध्याय समयसुन्दर कृत सारस्वत-रहस्य, अनिट्कारिका, हैमलिङ्गानुशासन-अवचूर्णि, उपाध्याय श्रीवल्लभ कृत सिद्धहेमशब्दानुशासन टीका, विमलकीर्ति कृत पद-व्यवस्था, सहजकीर्ति कृत ऋजुप्राज्ञव्याकरण, साधुसुन्दर कृत धातुरत्नाकर-क्रियाकल्पलता, विशालकीर्ति कृत प्रक्रिया कौमुदी टीका, तिलक गणि कृत प्रकृत शब्द समुच्चय, भक्तिलाम कृत बालशिक्षा-व्याकरण, ज्ञानतिलक कृत सिद्धान्तचन्द्रिका टीका सह, जिनहेमसूरि कृत सिद्धान्त-रत्नावली। (७) कोष-साहित्य :-कोष-साहित्य में सहजकीर्ति कृत सिद्ध शब्दार्णव-नामकोष, साधुसुन्दर कृत शब्दरत्नाकर, साधुकीर्ति कृत
SR No.023258
Book TitleKhartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherAkhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
Publication Year1990
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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