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________________ आचाय जिनदत्तसुरि का भी अनेक राजाओं पर प्रभाव था, जिनमें त्रिभुवनगिरि के राजा कुमारपाल और अजमेर के राजा अर्णोराज का नाम उल्लेखनीय है। दिल्ली के महाराजा मदनपाल मणिधारी जिनचन्द्रसूरि के अनन्य भक्त थे। ___ आचार्य जिनपतिसूरि से आशिका नगर के नरेश भीमसिंह बड़े प्रभावित थे। अजमेर के प्रसिद्ध महाराजा पृथ्वीराज चौहान जिनपति सूरि के प्रबल समर्थक थे। पाटण के राजा भीमदेव भी इनके प्रति श्रद्धा रखते थे। लवणखेडा के राजा केल्हण आचार्य के प्रति सदैव नतमस्तक रहे। नगरकोट के राजा पृथ्वीचन्द्र आचार्य जिनपतिसूरि और उपाध्याय जिनपाल के परम श्रद्धालु भक्त थे। 'कलिकाल केवली' विरुद प्राप्त जिनचन्द्रसूरि ने चार राजाओं को प्रतिबोध दिया था । खरतरगच्छ का जो दूसरा नाम 'राजगच्छ' प्रसिद्ध हुआ, वह राजाओं पर विशेष प्रभाव होने के कारण ही हुआ। - __ आचार्य जिनप्रभसूरि खरतरगच्छ के ही थे, जो बादशाहों को प्रतिबोध देने की शृंखला में सर्वप्रथम माने जाते हैं। बादशाह मुहम्मद तुगलक को जैनधर्म को शिक्षा देने वाले आचार्य ये ही थे। बीजापुर के महाराज सारंगदेव, महामात्य मल्लदेव व उपमन्त्री विन्ध्यादित्य आचार्य जिनप्रबोधसूरि से प्रबोधित एवं प्रभावित थे। सिवाणा शम्यानयन-नरेश श्रीसोम और जैसलमेर-नरेश कर्णदेव जिनप्रबोधसूरि को बहुत मानते थे। . शम्यानयन के महाराज सोमेश्वर चौहान, जैसलमेर के महाराज जैत्रसिंह और शम्यानयन नरेश शीतलदेव आचार्य जिनचन्द्रसूरि से बड़े प्रभावित थे। उन्हें धर्म मार्ग पर आरूढ़ करने का श्रेय इन्हीं आचार्य को है। अलाउद्दीन के पुत्र सुलतान कुतुबुद्दीन, मेड़ता-राणा मालदेव चौहान भी इनसे जबरदस्त प्रभावित हुए। बाइडमेर के नरेश राणा शिखरसिंह पर आचार्य जिनपद्मसूरि
SR No.023258
Book TitleKhartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherAkhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
Publication Year1990
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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