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________________ अपनी अमृत गंगा से समाज के उपवन को सिंचन देकर सरसब्ज बनाया है। धर्म संघ में परिव्याप्त विषैले वातावरण को स्वस्थ करने में इस गच्छ का अनुदान अप्रतिम है। भारतीय संस्कृति इसके अभाव में स्वयं को अपूर्ण पाएगी और इसके अवदानों के लिए कृतज्ञतापूर्वक अभिनन्दन करती रहेगी। भारतीय चिन्तन, साहित्य एवं साधना के क्षेत्र में खरतरगच्छ की छवि सदा सर्वतोमुखी उजली रही। इसमें हुए महान् गुरुजन आचार्य, समाज-सुधारक प्राणपण से भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के लिए समर्पित रहे। भारतीय चिन्तन, साहित्य एवं साधना के क्षेत्र उनका कर्तृत्व तिमिर में दिग्भ्रमित जीवन के लिए शाश्वत प्रकाश स्तम्भ है। जहां एक ओर उन्होंने भारतवर्ष के इतिहास को प्रभावित किया, विभिन्न प्रदेशों में पद-यात्राए कर सद्विचारों की वर्ण-शैली में सदाचार का प्रवर्तन किया, राजाओं बादशाहों को सम्प्रेरित कर उनके राज्यों को अहिंसामय बनाया, जैनीकरण एवं गोत्र निर्माण का विश्वकीर्तिमान स्थापित किया, वहीं उन्होंने दर्शन; साहित्य, काव्य-शास्त्र, व्याकरण, मन्त्र-शास्त्र आदि वाङ्मय के समस्त महत्त्वपूर्ण पहलुओं को उजागर किया। उनके सभी कार्य धार्मिक, व्यवस्थामूलक तथा नैतिक पृष्ठभूमि पर प्रतिष्ठित हैं। निश्चय ही, प्रस्तुत इतिहास इस आर्य देश की सच्चरित्रता को बनाये रखने के लिए सदा-सर्वदा आलोक-वर्तिका रूप रहेगा। यदि हम खरतरगच्छ के आदिकालीन इतिहास को वर्तमान परिपेक्ष्य में देखें, तो हमें लगेगा कि हमारा अतीत जितना उज्ज्वल, जितना उच्च, जितना महान था क्या उस उज्ज्वलता, उच्चता तथा महानता को हम आज यथार्थतः संजोकर रख पाए हैं। हमारे पूर्वजों ने जो ज्ञान की अखण्ड ज्योति प्रज्वलित की, साधना का दिव्य आलोक बिखेरा, योग की निरुपम विभूतियां उपलब्ध की, -------- २४१
SR No.023258
Book TitleKhartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherAkhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
Publication Year1990
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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