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________________ स्वामी की प्रतिमा, पूनाणी ऊहा ने चौबीस तीर्थंकरों के पट्ट और अजितनाथ स्वामी की प्रतिमा, श्रेष्ठि बालचन्द्र ने ऋषभदेव की प्रतिमा, श्रेष्ठि भावड़ के पुत्र धांधल ने शान्तिनाथ की प्रतिमा, बोथरा शान्तिग ने ऋषभदेव की प्रतिमा, आसनागने महावीर स्वामी की तीन प्रतिमाएँ, श्रेष्ठि साढल के पुत्र धनपाल ने शान्तिनाथ की प्रतिमा, श्रेष्ठी भाजाक ने दादाजिनदत्तसूरि और चन्द्रप्रभस्वामी की प्रतिमा, श्रेष्ठि हरिपाल तथा कुमारपाल ने नेमिनाथ की प्रतिमा श्रेष्ठि रूपचन्द के पुत्र नरपति ने स्तंभनक पार्श्वनाथ की प्रतिमा, श्रेष्ठि धनपाल ने चण्डे की प्रतिमा और अम्बिका देवी की प्रतिमा श्री संघ ने स्थापित करवाई। द्वादशी के दिन सौम्यमूर्ति और न्यायलक्ष्मी नामक साध्वियों की दीक्षा करवाई गई। सं० १३२१ फागुन शुक्ला २ गुरुवार को चित्तसमाधि और शान्तिनिधि नामक आर्याओं की दीक्षा हुई। सं० १३२१ फाल्गुन कृष्ण ११ को प्रह लादनपुर में जिनेश्वर ने तीन प्रतिमाओं और ध्वजदण्ड की प्रतिष्ठा की। बाद में जैसलमेर के श्रीसंघ की प्रार्थना से जैसलमेर पहुंचे और वहां पर ज्येष्ठ शुक्ला १२ के दिन श्रेष्ठि यशोधवल द्वारा निर्मित जिनमंदिर के शिखर पर दण्डध्वज रोपण किया और पार्श्वनाथ स्वामी की प्रतिमा को स्थापित की। सं० १३२१ ज्येष्ठ शुक्ला पूर्णिमा के दिन विक्रमपुर में चारित्रशेखर, लक्ष्मीनिवास तथा रत्नावतार नामक तीन साधुओं को दीक्षा दी। सं० १३२२ माघ शुक्ला १४ को विक्रमपुर में जिनेश्वरसूरि ने त्रिदशानन्द, शान्तमूर्ति, त्रिभुवनानन्द, कीर्तिमण्डल, सुबुद्धिराज, सर्वराज, वीरप्रिय, जयवल्लम, लक्ष्मीराज हेमसेन तथा मुक्तिवल्लभा, नेमिभक्ति, मंगलनिधि, प्रियदर्शना को तथा विक्रमपुर में ही वैशाख सुदि ६ को वीरसुन्दरी को दीक्षित किया। सं० १३२३, वैशाख शुक्ला १३ के दिन गणि देवमूर्ति को
SR No.023258
Book TitleKhartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherAkhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
Publication Year1990
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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