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________________ वाचनाचार्य पद दिया। आषाढ़ कृष्णा १ के दिन आपने हीराकर को साधु पद प्रदान किया। ___ सं० १३२३ मार्गशीर्ष कृष्णा पंचमी को जिनेश्वर ने नामध्वज को साधु और विनयसिद्ध तथा आगमसिद्धि को साध्वी बनाया। ___ सं० १३२४ मार्गशीर्ष कृष्णा २ शनिवार के दिन कुलभूषण, हेमभूषण, अनन्तलक्ष्मी, व्रतलक्ष्मी, एकलक्ष्मी, प्रधानलक्ष्मी को दीक्षित किया। यह दीक्षा महोत्सव जावालीपुर (जालोर) में हुआ था। सं० १३२५ बैशाख शुक्ला १० को जावालीपुर में ही महावीर विधि चैत्य में प्रा लादनपुर, खंभात, मेवाड़ उच्चा, वागड आदि स्थानों से समागत समुदायों के मध्य व्रत ग्रहण, मालारोपण, तथा सामायिक ग्रहण विस्तार से की गई। वहाँ पर गजेन्द्रबल नामक साधु तथा पद्मावती नाम की साध्वी बनाई गई। बैशाख शुक्ला १४ के दिन जिनेश्वरसूरि के करकमलों से महावीर विधिचैत्य में चौबीस जिनप्रतिमाओं की, चौबीस ध्वजदण्डों की, सीमंधर युगमंधर, बाहु-सुबाहु एवं अन्य अनेक जिममूर्तियों की प्रतिष्ठा बड़े विस्तार से हुई और ज्येष्ठ कृष्णा ४ के दिन स्वर्ण गिरि किल्ले में स्थित शांतिनाथ. विधिचैत्य में उन प्रतिष्ठित प्रतिमाओं की स्थापना की । उसी दिन गणि धर्म तिलक को वाचनाचार्य का पद दिया गया। बैशाख शुक्ला १४ को जैसलमेर के पार्श्वनाथ विधिचैत्य में श्रेष्ठि नेमिकुमार और श्रेष्ठि गणदेव द्वारा निर्मापित सुवर्ण दण्ड और सुवर्ण कलशारोपण महोत्सव किया गया। वि० सं० १३२६ में संघपति श्रेष्ठि अभयचन्द और मनि अजित सुत देदाक ने प्रह्लादनपुर से आपकी अध्यक्षतामें शत्रुजय, उज्जयन्त आदि तीर्थों की यात्रार्थ एक महासंघ निकाला। उस संघ में २३ साधु १३ साध्वी और सैकड़ों श्रावक सम्मिलित थे। इसमें लाखों रुपये व्यय २३७
SR No.023258
Book TitleKhartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherAkhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
Publication Year1990
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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