SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 257
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ को चन्द्रप्रभस्वामी अजितनाथ और सुमतिनाथ की प्रतिमा की श्रेष्ठि बुधचन्द्र ने आप से प्रतिष्ठा करवाई। श्रेष्ठि भुवनपाल ने ऋषभदेव स्वामी की प्रतिमा, श्रेष्ठि जसधर के पुत्र जीविग ने धर्मनाथस्वामी की प्रतिमा, रत्न और पेथड़ ने सुपार्श्व स्वामी की प्रतिमा, श्रेष्ठि हरिपाल और उसके भाई कुमारपाल ने जिनवल्लभसूरि प्रतिमा और सिद्धान्तयक्षमूर्ति की स्थापना एवं प्रतिष्ठा कराई। श्रेष्ठि अभयचन्द्र ने श्रीपत्तन में अक्षय तृतीया के दिन शान्तिनाथ देव के मन्दिर पर दण्डकलश चढ़ाये। सं० १३१७ माघ सुदी १२ को जिनेश्वरसूरि ने गणि लक्ष्मीतिलक को उपाध्याय पद प्रदान किया तथा पद्माकर नाम के व्यक्ति को दीक्षा दी गई। माघ शुक्ला १४ के दिन आचार्य की आज्ञानुसार जावालीपुर के शोमावर्द्धक महावीर जिनेन्द्र के मन्दिर में स्थापित चौबीस देवकुलिकाओं पर पंचायत की ओर से सुवर्णकलश और स्वर्णध्वजदण्ड चढ़ाये गये। फाल्गुन शुक्ला १२ को शान्तपुर में इनकी सानिध्यता में अजितनाथ स्वामी के मन्दिर में ध्वजदण्ड की प्रतिष्ठा और ध्वजारोहण किया गया। इसी प्रकार भीमपल्ली में राजा मांडलिक के राजत्वकाल में वैशाख सुदी १० सोमवार के दिन राज्य के प्रधान दण्डनायक श्रीमीलगण (१ सीलण ) की सन्निधि में श्रेष्ठि खीमड़ के पुत्र श्रेष्ठ जगद्धर और पौत्र भुवनराय ने अपने कुटुम्ब व संघ समुदाय के साथ वर्द्धमान स्वामी के “मन्दिरतिलक" नामक मन्दिर पर स्वर्णदण्ड और स्वर्णकलश चढ़वाये और उनकी प्रतिष्ठा भी उसी दिन करवायी। इसके अतिरिक्त वहाँ पर और भी अनेक जिन प्रतिमा व देवी-देवताओं की प्रतिष्ठा करवाई गयी थी। जिनमें श्रेष्ठि हरिपाल और कुमारपाल द्वारा निर्मापित सुबुद्धि देनेवाली और एकावन अंगुल प्रमाण “सरस्वती” प्रतिमा का नाम उल्लेखनीय है । श्रेष्ठि राजदेव ने भगवान शान्तिनाथ प्रतिमा, श्रेष्ठि मूलदेव और क्षेमंधर ने ऋषभदेव प्रतिमा, श्रेष्ठि सावदेव के पुत्र पूर्ण सिंह ने महावीर २३५
SR No.023258
Book TitleKhartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherAkhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
Publication Year1990
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy