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________________ सं० १२३६ में जिनपतिसूरि अजमेर पधारे। वहाँ सम्राट पृथ्वीराज चौहान की अध्यक्षता में फलवद्धिका निवासी उपकेशगच्छीय आचार्य पद्मप्रभ के साथ आपका महत्वपूर्ण शास्त्रार्थ हुआ था । जिनपतिसूरि ने जिन शास्त्रार्थी में भाग लिया, उनमें यह शास्त्रार्थ सर्वोपरि था । यह शास्त्रार्थ अजमेर राज्य सभा में हुआ था । राज्य सभा में महामन्त्री मण्डलेश्वर कैमास, पं० वागीश्वर, जनार्दन गौड़, विद्यापति प्रभृति प्रमुख विद्वान सम्मिलित थे । प्रतिवादी आचार्य पद्मप्रभ अभिमानी, अविवेकवान, अनर्गल प्रलापी था । विस्तृत वाद-विवाद के बाद पद्मप्रभ परास्त हो गया । जिनपतिसूरि की असाधारण प्रतिभा एवं पाण्डित्य से सारी सभा प्रमुदित हुई और राजा चौहान ने पृथ्वीराज चौहान को विजय-पत्र हाथी के हौदे पर रखकर स्वयं उपाश्रय में जाकर जिनपतिसूरि को प्रदान किया। इस अवसर पर श्रावकसंघ ने विशाल पैमाने में महोत्सव मनाया । 1 उसके बाद आचार्य जिनपतिसूरि अजमेर से विहार कर वि० सं० १२४० में विक्रमपुर आये । वहाँ पर जिनेश्वरसूरि एवं उनके १४ शिष्य मुनियों ने छः मास तक गणियोग तप किया वि० सं० १२४२ में फलौदी आकर जिणनाग, अजित, पद्मदेव, यमचन्द्र और धर्मश्री, धर्मदेवी को दीक्षा दी। वि० सं० १२४३ में खेड़ा नगर में जिनपतिसूरि ने चातुर्मास किया । वहाँ से प्रामानुग्राम विचरण करते हुए पुनः 1 अजमेर की ओर पधार गये । सं० १२४४ में आचार्य जिनपतिसूरि की सान्निध्यता में उज्जयन्त, शत्रुंजय आदि तीर्थों की यात्रा के लिए एक संघ निकला । जिसके संघपति श्रेष्ठि अभयकुमार वश्याय थे 1 विक्रमपुर, उच्चा, मरुकोट, जैसलमेर, फलौदी, दिल्ली, वागड़, मांडव्यपुर आदि नगरों के श्रावकवर्ग ने इस यात्रा में भाग लिया । शत्रुंजय जाते समय मार्ग में चन्द्रावती नगरी पधारे, जहाँ पूर्णिमा गच्छीय आचार्य २१५
SR No.023258
Book TitleKhartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherAkhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
Publication Year1990
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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