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________________ २३. पदव्यवस्था २४. शान्ति पर्व विधि, पत्रक २५. वाड़ी कुलक, पद्य २५ २६. आरात्रिक वृत्तानि, पद्य १३ २७. अध्यात्म - गीतानि उक्त सभी रचनाओं में सबसे बड़ी कमी यह है कि किसी भी रचना का रचनाकाल उल्लिखित नहीं है । अतः रचना निर्माण का पूर्वापरक्रम नहीं बताया जा सकता। मुनि कान्तिसागर के अध्ययनानुसार पदव्यवस्थापत्र उनकी प्रथम रचना होनी चाहिये । कारण, इस पर चैत्यवासियों का आंशिक प्रभाव स्पष्ट है । ' पूर्व वर्णित सत्ताईस रचनाओं के अतिरिक्त विद्वानों ने जिनदत्तसूरि की और रचनाएँ भी मानी । यथा १. बावन तोला पाव रत्ती कल्प - हेमकल्प २. जीवानुशासन वृत्ति ३. मोहनलाल दलीचन्द्र देसाई के अनुसार पिण्डनिर्युक्त्तिवृत्ति ४. धनपतिसिंह भणसाली के उल्लेखानुसार पदस्थापनविधि प्रवोधोदय, अध्यात्मदीपिका, पट्टावली - ये चार रचनाएँ ५. शेर सिंह गोडवंशी के अनुसार शकुनशास्त्र किन्तु इन सभी रचनाओं के सम्बन्ध में अगर चन्द नाहटा और भंवरलाल नाहटा का लिखना है कि ये रचनाएँ जिनदत्तसूरि की नहीं है। समय- संकेत - आचार्य दिनदत्तसूरि का जन्म वि.सं. ११३२, वि. सं. ११४१, आचार्य वि. सं. १९६६ एवं स्वर्गवास वि.सं. १२११ में हुआ था । इस आधार पर वे बारहवीं तेरहवीं सदी के श्रेष्ठतम आचार्य सिद्ध होते हैं । १ युग. जिनदत्तसूरि, प्रस्तावना, पृ. ३८ २००
SR No.023258
Book TitleKhartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherAkhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
Publication Year1990
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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