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सीहोजी राठोड़ की भाँति ही अन्य चमत्कारिक घटनाओं का वर्णन भी यत्रतत्र पाया जाता है जैसे : भक्त श्रावक की डूबती नौका को तिराना, जलतरणी कम्बल पर बैठ कर पंचनदी पार होना आदि ।
प्रतिबोध एवं गोत्र - स्थापना :- आचार्य जिनदत्तसूरि एक ऐसे राष्ट्रसन्त हैं, जिन्होंने लाख से अधिक लोगों को जैनत्व अंगीकरण करवाया। जैन - परम्परा के समग्र इतिहास में इनकी टक्कर का और कोई आचार्य हुआ हो, ऐसा उल्लेख प्राप्त नहीं होता । इन्होंने सवा लाख या एक लाख तीस हजार नये जैन बनाये थे। जिनदत्त ने छत्तीस राजवंशों को प्रतिबोधित किया । उन्हें जैन बनाकर विविध परिचयात्मक गोत्र बनाये ।
जिनदत्तसूरि ने सवा लाख या एक लाख तीस हजार नये जैन किस प्रदेश में बनाए थे इस सम्बन्ध में विभिन्न उल्लेख मिलते हैं । अज्ञात लेखक कृत एक पट्टावली के अनुसार जिनदत्तसूरि ने ओसियां में लक्षाधिक जैन बनाए थे। प्राकृतप्रबन्धावली में उल्लिखित है कि आचार्य जिनदत्तसूरि ने सिन्धुप्रदेश में विहार करके एक लाख अस्सी हजार घरों को प्रतिबोध देकर ओसवाल बनाया । सूरि परम्पराप्रशस्ति में लिखा है कि विक्रमपुर में संख्याबद्ध माहेश्वरी आदि कुटुम्बों ने जिनदत्तसूरि से जैनधर्म स्वीकृत किया । '
अगरचन्द नाहटा व भंवरलाल नाहटा के निष्कर्षानुसार विक्रमपुर
१ सवा लाख खरतर जं'० यु० प्र० जगत्गुरु पूज्य श्री पूज्य गुरु श्री जिनदत्तसूरिजी कीधा ।
- श्री जिनदत्तसूरि प्रतिबोधित गोत्र, पत्र- ७
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