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________________ १७. बृहद् वन्दनक भाष्य, भाष्य परिमाण ३३२ श्लोक । १८. नवपद प्रकरण भाष्य, भाष्य परिमाण १५१२ श्लोक। १९. आगम अष्टोत्तरी। २०. निगोद ट्त्रिंशिका। २१. पुद्गल षट्त्रिंशिका। २२. आलोयणा विधि प्रकरण गाथा २५ । २३. स्वधर्मी वात्सल्यकुलक, गाथा २५ । २४. पार्श्व स्तव, देवदुत्थिय के नाम से भी प्रसिद्ध गाथा १६ । २५. स्तंभन पार्श्वस्तव, गाथा ८। २६. पार्श्व-विज्ञप्तिका। २७. विज्ञप्तिका, पत्र २६ । २८. षट्स्थान भाष्य, गाथा १७३ । २६. वीर स्तोत्र, गाथा २२ । ३०. षोड दशक टीका, पत्र ३७ । ३१. महादण्डक। ३२. तिथि पयन्ना। ३३. महावीर चरित्र अपभ्रंश भाषा में रचित, गाथा १०८। ३४. उपधानविधि पंचाशक प्रकरण, गाथा ५० । इस प्रकार हम देखते हैं कि अभयदेव का साहित्य ६०,००० से अधिक श्लोक-परिमित प्राप्त प्रमाणों के अनुसार वि० सं० ११२० में उन्होंने २१६२५ श्लोक परिमित ग्रन्थ रचे। मात्र एक वर्ष में इतना विस्तृत साहित्य-लेखन कर लेना वास्तव में उनकी रचनात्मक क्षमता का निदर्शन है। समय-संकेत :-आचार्य अभयदेवसूरि ने टीका-निर्माण का कार्य वि० सं० ११२० से ११२८ तक किया। वि० सं० ११३५ अथवा ११३६ में उनका स्वर्गवास हुआ। इस आधार पर यह सिद्ध होता है कि अभयदेव ११ वी-१२ वीं सदी में हुए थे। १४१
SR No.023258
Book TitleKhartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherAkhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
Publication Year1990
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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