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तृतीय खण्ड खरतरगच्छ के आदिकालीन ऐतिहासिक पुरुष
७६-२४३ खरतरगच्छ की गुरु-परम्परा-८१, खरतरगच्छ के आदिकालीन ऐतिहासिक पुरुष-८२, अमृत-पुरुष आचार्य वर्धमानसूरि-८४, महामहिम क्रान्तदर्शी आचार्य जिनेश्वरसूरि-८९, महावैयाकरण आचार्य बुद्धिसागरसूरि-१०४, महत्तरा कल्याणमति-१०७, महाकवि धनपाल-१०८, महाप्रज्ञ आचार्य जिनचन्द्रसूरि११२, शासन-धन आचार्य धनेश्वरसूरि-११६, अमेय मेधा-सम्पन्न आचार्य अभयदेवसूरि-११७, दिव्य विभूति आचार्य देवभद्रसूरि-१४२, अर्हन्नीतिसंयोजक आचार्य जिनवल्लभसूरि-१४४, विद्वत्ररत्न आचार्य हरिसिंहसूरि-१६८, प्रबुद्ध-चेता गणि रामदेव-१६८, जिनशासन-सेवी पद्मानन्द-१६६, सम्मान्य आचार्य अशोकचन्द्रसूरि-१७०, जगत्पूज्य आचार्य जिनदत्तसूरि-१७१, जिनशासन-शिरोमणि आचार्य जिनशेखरसूरि-२०१, मणिधारी आचार्य जिनचन्द्रसूरि-२०२, महावादजयी आचार्य जिनपतिसूरि-२११, महामनीषी उपाध्याय जिनपाल-२२२, श्रावक-रत्न नेमिचन्द्र भाण्डागारिक २२५, शासन-प्रभावक आचार्य जिनेश्वरसूरि (द्वितीय)-२२६, धर्मानुरागी श्रेष्ठि. अभयचन्द्र-२३६, उपसंहार-२४०