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(सिरि भूवलय
वाय. के मोहन जी के पुस्तक शक्ति द्वारा प्रकटित हो रहें द्वितीय संस्करण के प्रौढता का कन्नड जनता के ऊपर गहरा प्रभाव पडे ! ऐसी मेरी अभिलाषा हैं । सार्वजनिकों विद्यासंथानों और सरकार को भी इस कार्य के लिये सहायता देना अपना कर्तव्य समझना चाहिये।
प्रो. जी. वेंकटसुब्बैय्या नं.५८, ३१ क्रास, ७ ब्लाक, जयनगर, बेंगळुरु-५६००७०
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