________________
सिरि भूवलय
ग्रंथ प्रशस्ति
दरुशनशक्ति ज्ञानद शक्ति चारित्र वेरसिद रत्नत्रयव बरेयबारदु बरेदरु ओद बारद सिरिय सिद्धत्व भूवलय ।।
यारे जपिसिदर सत्फलवीव सारतरात्मकग्रंथ
नूरु साविर लक्ष कोटिय श्लोकांक सारवागिसिद भूवलय ।।
मेरुव बलक्कि तिरुगुत नेलसिर्प भूरि वैभवयुत्तराद सारद बैळक बीरुव चंद्रसूर्यरु धारुणियोळु तोर्प वरेगे ॥
नीलांबरदोळु होळेयुव नक्षत्र मालिन्यवागदा वरेगे
शीलव्रतंगळोळु बाळ्दु जनरेल्ल कालन जयिसले निसलि ॥
सिव पार्वतीशन गणितद श्रीकंठ दवनिय ताळेयोलेगळ सुविशालपत्रदक्षरद भूवलयके सविस्तरकाव्यकेन्न नमनवु ॥
तनुवनाकाशके हारिसि निलिसुव घनवैमानिक दिव्य काव्य पनसपुष्पद काव्य विश्वभरकाव्य जिनरूपिन भद्रकाव्य ॥
154