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सिरि भूवलय
शंभव नाथ के लिए ४००, अभिनंदन के लिए ३५०, सुमति नाथ के लिए ३००, शीतल नाथ के लिए ९०, श्रेयांस के लिए ८०, विमल नाथ के लिए६०, अनंत नाथ के लिए ५०, धर्म नाथ के लिए ४५, कुंथु नाथ के लिए ३५, मल्लिनाथ के लिए २५, नमीनाथ के लिए १५, नेमिनाथ के लिए १०, पार्श्व नाथ के लिए ०९, महावीर के लिए ०७, इस प्रकार्बिल्लु (धनुष) की ऊँचाई को कहा गया है। कुछ तीर्थंकरों के नाम लिए जाने पर भी उनके कम संख्या को कह ऊँचाई के प्रमाण को सूचित करते हैं। यह जैन संप्रदाय में आने वाले जिनों की मूर्तियों की ऊँचाई को निर्धारित करता हुआ बिल्लिन (धनुष ) गणित का एक नाप है।
उन तीर्थंकरों के सिंह वाहनों के रंग इस प्रकार है उदाहरण के लिए पुष्प दंत के लिए कुंद पुष्प के रंग का सिंह शरीर वाहन, पार्श्व/सुपार्श्व हरित वर्ण का सिंह वाहन, सुव्रत के लिए हरवर्ण, नेमी नाथ, पदप्रभ, वासु पूज्य के लिए लाल वर्ण ।
ये सिंह वाहन भरत चक्रांक, भरत खंड का शुभ चिन्ह बना हुआ है। इन सिंह वाहनों की आयु का प्रमाण इस प्रकार है महावीर के सिंह वाहन के लिए समवसरण में १० वर्ष की आयु, पार्श्व नाथ के सिंह वाहन की आयु ६९ वर्ष ८ महीने, नेमी नाथ के सिंह वाहन की आयु ५६ दिन कम ७०० साल के लिए, नमी नाथ सिंह वाहन की आयु ९ वर्ष कम २५०० वर्षों के लिए, मल्लि नाथ के सिंह वाहन की आयु ७५०० वर्ष। इन सिंह वाहनों के आकार को " गणितांक राशि” से तुलना कर सूची को दिया गया है। इस नाल्मुगद सिंहों की रक्षा करने वाले यक्ष-यक्षिणियों, ज्वालामालिनी, कूष्माडिनी, पद्मावती, सिध्दायिके, इत्यादि का वर्णन है। देवदेवन के ये यक्ष-यक्षिणियाँ नीम के फूल को इत्तवरु ( रखने वाले) कमल के फूल के रस से इस विश्व रस को रक्षा करने वाले, जीव कोटियों की रक्षा करने वाले, श्री वीर वाणी के सेवक हैं।
दर्शन, ज्ञान, चारित्र(आचरण) इन तीन स्पर्श मणी के छूते ही मर्कट मानव बना। नवपद धर्म का गणित, नवमांक गणित, नवपद योग के द्वार स्वद्रव्य को समझने वाला भवभय नाशक बनता है।
इस भूवलय के पाप को नाश करने वाला अ मंगल पदार्थों से बना हुआ प्राभृत पद परमात्मा के चरण कमलों येन्टक्षर (आठ अक्षर) लिखा हुआ "पाहुड ग्रंथ” है। यहाँ अमोध वर्ष का राज्य सारस्वत” है, ऐसा उल्लेख है ।
डा. के. आर. गणेश
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