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( सिरि भूवलय
ननेकोनेवोगिसि भव्यजीवरनेल्ल
जिनरूपिगैदिप काव्य रणकहळेय कूगनिल्लवागिप काव्य
दनुभवखेचर काव्य ॥
अर्थात् :- न लिखा जा सके और यदि लिखा गया भी तो न पढा जा सके दर्शनशक्ति ज्ञान शक्ति के सार से भरित अंकों में लिखित सिरिभूवलय ऐसा एक ग्रंथ है। जो जितना इस का जप कर सकता है उसे उतना फल प्राप्त होगा । यह सौ हजार लाख करोड श्लोकों से भरित सार गर्भित ग्रंथ है । सूरज और चाँद के चमकने तक घनवाद उपदेश देने वाला ग्रंथ है । नीले आकाश में नक्षत्रों के मालिन्य होने तक जन सामान्य को ज्ञान देने वाला ग्रंथ है। शिव पार्वती की महिमा को गणित के द्वारा ताड पत्र पर विवरित करने वाला ग्रंथ है। मानव शरीर को आकाश में उडने के लिए संभव बनाने वाला विमान शास्त्र का विवरण करने वाला महाग्रंथ है। भव्य जीवियों के लिए जिन रूप को शांति से परिचय देने वाला ग्रंथ यही सिरि भूवलय है।
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