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सिरि भूवलय
के. अनंतसुब्बाराव
इस अध्याय में २४ तीर्थंकरों के नाम सिध्द रस की महिमा, पुष्पायुर्वेद के २४ पुष्पों के नाम, नाल्मुगद सिंह (चार मुख वाला सिंह) की महिमा का वर्णन करते हैं।
अध्याय ८ श्लोक - २५६, अक्षर संख्या - २५, ७०४ पंडित यल्लप्पा शास्त्री, कर्ल मंगलं श्रीकंठय्या
इस भाग में सभी तीर्थंकरों के वाहन सिंहों के आकार रूप स्वभाव के साथ गणितांक राशि से तुलना कर उनको उस-उस नाम की शंका समाधान के साथ गणित शास्त्र है, ऐसा निरूपित कर, उस संदर्भ में यहाँ विवरण प्रस्तुत किया है और भरत खंड का शुभ चिन्ह यही नाल्मुगद सिंह (चार चेहरे वाला सिंह) है, ऐसा कहते हैं ।
के. अनंतसुब्बाराव
१. इस अध्याय में सभी तीर्थंकरों के वाहन सिंहोंके आकार रूप स्वभाव की आयुष नामों को गणित शास्त्र के प्रकार से विवरण किया गया है।
२. कुमुदेन्दु मुनि का वास स्थान नंदी बेट्टा ( पहाड) के वर्णन को,
नामुगद सिंह भरत खंड के शुभ चिन्ह को, महादेवी चक्रेश्वरी पुरुषदत्ते, काली, गौरी, इत्यादि यक्ष-यक्षिणियों की प्रशंसा की है
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( वाक्य रचना को जहाँ-तहाँ ठीक करने पर भी वस्तु विवरणों की अस्पष्टता बनी हुई है, इस कारण क्षमा प्रार्थी हैं : प्र. सं )
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