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________________ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज ४७. कुन्तल ' - चालुक्य काल में कुन्तल देश की पूर्वी सीमा गोदावरी, पश्चिमी सीमा अरब सागर, दक्षिणी तथा उत्तरी सीमा क्रमशः तुंगभद्रा एवं नर्मदा नदी थी । विभिन्न समयों में कुन्तल देश की राजधानियाँ नासिक तथा कल्याण रहीं थीं । मार्कण्डेयपुराण दो कुन्तल देशों का उल्लेख करता है जिनमें से एक मध्यदेश में तो दूसरा दक्षिण में स्थित था । ५३४ ४८. मालवा उ सातवीं प्राठवीं शताब्दी ई० के पूर्व मालवा की राजधानी अवन्ती थी । मल्लों अथवा मालवों का देश मालवा कहलाया । हर्षचरित में उल्लिखित मालवराज सम्भवत: मुल्तान के मल्लों का राजा रहा होगा । * मालव देश की सीमा अवन्ती के पूर्व तथा गोदावरी के उत्तर में बताई जाती है । - ४६. गौड - सम्पूर्ण बंगाल पूर्वी गोड का भाग है । यह गङ्गा के बाएं किनारे पर अवस्थित है। उत्तर कोशल भी गौड कहलाता है जिसे उत्तरी गौड कह सकते हैं । पश्चिमी तथा दक्षिणी गौड क्रमशः गौण्डवन तथा कावेरी नदी के तटवर्ती क्षेत्र के रूप में स्पष्ट किए जा सकते हैं । ७ 1 ५०. केरल - त्रावनकोर, मालाबार तथा कनारा के सम्मिलित प्रदेश केरल में आते हैं । इसकी उत्तरी सीमा गोश्रा तक मानी जाती है । o ५१. मलय १० – मलयालम से इसका सम्बन्ध रहा है । 'मलयखण्ड', 'मालाबार' आदि इसकी अपर संज्ञाएं भी प्रचलित हैं । मालाबार, कोच्चिन, त्रावनकोर प्रादि प्रदेश इसके अन्तर्गत आते हैं । कुछ विद्वानों के अनुसार तुल्व, मुषिक, केरल तथा कुव प्रादि प्रदेश इसमें सम्मिलित हैं । ११ १. वसन्त०, ३.४४; हम्मीर०, १०.१६ २. Dey, Geog, Dic., p. 109 ३. ४. ५. ६. ७. वसन्त०, ३.४२; कीर्ति०, २३०, हम्मीर०, २.३७ Dey, Geog. Dic., p. 122 सर्वानन्द पाठक, विष्णु पुराण का भारत, पृ० ४१ जयन्त०, ११.१०; वसन्त०, १०.२५; कीर्ति०, २.३६ Dey, Geog. Dic., p. 63 जयन्त०, ११.३२; वसन्त ०, ३.४२ ८. . Dey, Geog. Dic., p. 98 १०. जयन्त ०, ११.३७ ११. Dey, Geog. Dic., p. 122
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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