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जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज
तथा पश्चिमी वितस्ता तक इसका विस्तार था। इसमें राजपुरी तथा लौहार आदि पर्वतीय प्रान्त भी सम्मिलित थे।'
३६. पारस-'फसिया' या 'फारस' देश के नाम से प्रसिद्ध है। इसकी 'पारसीक' 'परसिया' आदि अन्य संज्ञाएं भी प्रचलित हैं। वैदिक साहित्य में मध्य प्रदेश के दक्षिण पश्चिम के निवासी पारशव गण' के नाम से प्रसिद्ध थे।
३७. पूर्वदेश५-वाराणसी से प्रासाम और बर्मा तक पूर्वी भारत पूर्व देश के नाम से प्रसिद्ध था।
३८. मङ्गलावती-धातको खण्ड द्वीप के पूर्व भाग में विदेह क्षेत्र का एक देश।
३६. सुगन्धि -पुष्करार्घ द्वीपस्थ पूर्व मन्दर के अपर विदेह का एक
देश।
४०. हरण'१-मानसरोवर से प्रावृत हूण देश प्राचीन पंजाब के सियालकोट क्षेत्र का समीपवर्ती क्षेत्र है । १२ इसकी दक्षिणी तथा उत्तरी सीमाएं क्रमशः कामगिरि पर्वत तथा मरुदेश हैं।'
१. Dey, Geog. Dic., p. 99 २. चन्द्र०, १६.४२ ३. अमृत लाल, चन्द्र०, ५० ५५३ ४. Vedix Index-I.574-75 ५. चन्द्र०, १६.१; वर्ष०, १.७ ६. अमृतलाल, चन्द्र ०, पृ० ५५३ ७. चन्द्र०, १.११२ ८. अमृत लाल, चन्द्र०, पृ० ५५३ ६. चन्द्र०, २.११४ १०. अमृत लाल, चन्द्र०, पृ. ५५३ ११. जयन्त०, ११.८२ १२. Dey, Geog. Dic., p. 78 १३. सर्वानन्द पाठक, विष्ण पुराण का भारत, पृ०४२