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________________ भौगोलिक स्थिति भागीरथी तथा सहोपन्थ का निकटस्थ प्रदेश है तथा १२८६० है । " चन्द्रप्रभचरित के अनुसार यह घातकी खण्ड द्वीप के पूर्व है । ४ ३२. उढ़ ३ – यह देश कभी उड़ीसा के भूभाग में विद्यमान था । बाजपेयी महोदय ने इसे 'उड़' के रूप में उड़ीसा के नाम से स्पष्ट किया है । चन्द्रप्रभ० के टीकाकार ने 'ओढ' के रूप में इसकी व्याख्या की है । वराङ्गचरित महाकाव्य में भी सम्भवतः 'प्रोद्र' का प्रयोग 'उदू' अथवा 'प्रौढ़' देश के लिए ही आया है। ३३. श्ररिज 5 – धातकी खण्ड द्वीप के पूर्व भरत चन्द्रप्रभचरित में इस देश की धन-धान्य समृद्धि का विशेष वर्णन ३४. कोर ११ - वर्तमान कांगड़ा ( पूर्व पंजाब ) का बैजनाथ १२ । बैद्यनाथ का इसमें मन्दिर होने के कारण इसे है । कोट कांगड़ा के ३० मील पूर्व में इसकी स्थिति है । १३ (१०४०-१०७३ ई०) ने इस देश को जीता था । ?. ३५. खश २. ५३१ फुट ऊंचा स्थित भरत का एक देश Bajpai, Geog. Ency., Pt. I, p. 13 अमृत लाल, चन्द्रप्रभ महाकाव्य, पृ० ५५३, तथा चन्द्र०, ५.२ ३. चन्द्र०, १६.२८ ४. अमृत लाल, चन्द्रप्रभ महाकाव्य, पृ० ५५३ Dey, Geog. Dic. p. 209 ४ १ -काश्मीर के दक्षिण भाग में स्थित । १५ दक्षिण पूर्वी कस्तवर का एक देश । हुआ है । १° १० चन्द्र० १६.५० अमृतलाल, चन्द्रप्रभ महाकाव्य, पृ० ५५३ कीर ग्राम अथवा बैजनाथ कहा जाने लगा कलचुरि नरेश कर्णदेव ११ १२. १३. Dey, Geog. Dic., p. 100 १४. चन्द्र०, १६.५१ १५. श्रमृतलाल, चन्द्रप्रभ महाकाव्य, पृ० ५५३ ५. ६. प्रौढ देशभूयान् । - चन्द्र०, १६.२८ पर विद्वन्मनो०, पृ० ३६२ ७. श्रद्राश्च वैदर्भवं दिशाश्च ० । – वराङ्ग०, १६.३३ ८. चन्द्र०, ६.४१ ६. अमृतलाल, चन्द्रप्रभ महाकाव्य, पृ० ५५३ १०. प्रथितोऽयमरिजयाभिधानो धनधान्याढ्यजनाकुलो जनान्तः । - चन्द्र०, ६.४१
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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