SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 564
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५३० जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज द्वीप भी कहा गया है। इस प्रकार शक देश भारत के उत्तर-पश्चिम में पंजाब के आसपास स्थित था।' २८. कलिङ्ग-प्राचीन समय में उड़ीसा से प्रान्ध्र तक फैला प्रदेश 13 कनिंघम दक्षिण-पश्चिमी गोदावरी तथा उत्तर-पूर्वी इन्द्रावती नदियों के मध्य इसकी सीमाएं निर्धारित करते हैं । मणिपुर, राजपुर तथा राजमहेन्द्री इसके प्रमुख नगर हैं । महाभारत के समय में उड़ीसा का अधिकांश भाग कलिङ्ग में समाहित था तथा इसकी उत्तरी सीमा वैतरणी नदी पर्यन्त थी। २९. द्रविड़-चन्द्रप्रभ के टीकाकार के अनुसार द्रविड़ तथा द्रमिल एक ही हैं । कृष्णा तथा पोलार नदियों के बीच में इसकी स्थिति थो। डा० फ्लीट की धारणा के अनुसार पूर्वी द्रविड़ के पल्ल-निवासियों के देश का नाम द्रमिल था। कांची इसकी राजधानी थी।८ । ३०. लाट -खानदेश तथा दक्षिण गुजरात के प्रान्त लाट देश कहलाते थे। बरगस में अनुसार लाट के अन्तर्गत सूरत, भरूच, खेड़ा तथा बड़ोदरा के कुछ प्रान्त सम्मिलित थे। गुजरात तथा उत्तरी कोंकण का प्राचीन नाम लाट देश था।१० ३१. अलका१-उत्तर कुरु का एक शहर। भौगोलिक दृष्टि से यह १. नेमिचन्द्र शास्त्री, प्रादिपुराण में प्रतिपादित भारत, पृ० ६८ २. वराङ्ग०, १७.३२; चन्द्र०, १६.२६; धर्म०, १७ ५१; जयन्त०, ११.१८; बसन्त०, ३.४५; हम्मीर०, ११.१ . ३. अमतलाल, चन्द्र०, पृ० ५५३ 8. Dey, Geog. Dic., p. 85 ५. चन्द्र०, १६.३६; धर्म०, १७.६५; जयन्त०, ११.५१ ६. द्रमिलवध०-द्रविडदेशस्य वधूनाम् । -चन्द्र० १६.३६ पर विद्वन्मनोवल्लभा टीका, पृ० ३६४ ७. अमृत लाल, चन्द्र०, पृ० ५५३ 5. Dey, Geog. Dic., p. 57 ६. चन्द्र०, १६.४०; धर्म०, १७.६५; द्वया०, ६.२७; वमन्त०, १०२५; कीर्ति०, २.३; हम्मीर०, १.६७ १०. Dey, Geog. Dic., p. 114 ११. चन्द्र०, ५.
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy