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________________ ५२० जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज कभी-कभी शिलालेखों में आई 'जम्बूनदी' से अभिन्न माना जाता है । इस नदी का क्षेत्र दीनाजपुर जिले का दामोदरपुर नामक स्थान है ।। १२. द्रुमती – मत्स्यपुराणोक्त 'द्रोणी' अथवा वायुपुराणोक्त 'द्रुमा' नदियों से इसका सम्बन्ध जोड़ा जा सकता है । वाजपेयी महोदय के अनुसार 'द्रुमा' नदी की स्थिति स्पष्ट ही है । 3 १३. ऋजुकूला ४ – वर्धमान महावीर के केवल ज्ञान प्राप्त करने से कुछ समय पूर्व जृम्भक नामक ग्राम के समीप बहने वाली इस 'ऋजुकूला' नामक नदी को पार किया था । १४. सीता – जैन भूगोल के अनुसार विदेह क्षेत्र की एक नदी है । धुनिक इतिहासकार महाभारत के शक द्वीप को मध्य एशिया तथा तुर्किस्तान से अभिन्न मानते हैं । इसी क्षेत्र की 'Syr-daria' अथवा 'Jaxartes' नदी को सीता नदी से अभिन्न माना गया है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार सुचक्षु, सीता प्रौर सिन्धु को गङ्गा की ही तीन पश्चिम-गामिनी शाखाएं मानी गई हैं । महाभारत, पुराण आदि भी सीता नदी को गङ्गा की ही एक धारा मानते हैं । ' १५. नर्मदा ११. -'अमरकण्टक' पर्वत माला से निकलती हुई यह नदी अरब सागर में जा मिलती है । सागर तथा नर्मदा का संगम स्थल 'नर्मदा - उदधि-संगम' के नाम मे प्रसिद्ध है । १२ ५. ६. — १६. रेवा १३. - रेवा नदी के स्रोत अमरकण्टक पर्वत मालाएं ही हैं । - ?. Gupta, Geog. in Ind. Ins., p. 262 २. द्वया० १५.६० ३. Bajpai, Geog, Ency, Pt. I, p. 117 ४. वर्ध०, १७.१२८ वही, १७.१२८, २६ वर्ध ०, १२.१; धर्म ०, ४.४ जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश, भाग ३, पृ० ४७२ ७. ८. Dey, Geog. Dic., pp. 172-73 ६. रामायण, बालकाण्ड, ४३.१३ १०. विजयेन्द्रकुमार माथुर, ऐतिहासिक स्थानावली, पृ० १६८ ११. नेमि०, १३.३१; वसन्त०, ५.४२; द्वया०, ७.५८ १२. Gupta, Geog. in Ind. Ins. p. 264; Dey, Geog. Dic., p. 138 १३. वसन्त०, ५. १०७
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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