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________________ भौगोलिक स्थिति ५१६ ६. सरस्वती - हिमालय पर्वत की 'सरमर' पहाड़ियों से निकलती हुई सरस्वती नदी आद-बादरी (अम्बाला) में समाप्त हो जाती है । प्लक्षावतरण तीर्थ स्थान से इस नदी का वेग बढ़ना प्रारम्भ होता है । छालौर नामक ग्राम से यह गुप्त हो जाती है तथा भवानीपुर से प्रकट हो जाती है । 'बालछप्पर' के पास से पुनः अदृश्य होते हुए पहोप्रा के निकट 'बरखेरा' से पुनः प्रकट हो जाती है । अन्त में यह घग्घर नदी में विलीन होती है । ७. अजीर्णवती3-बाजपेयी महोदय ने अजिरवती अथवा अचिरवती नदियों को अभिन्न माना है । प्रस्तुत नदी का भी इन्हीं से सम्बन्ध रहा होगा । अचिरवती सरस्वती नदी मानी गई है । कनिंघम ने इसे आधुनिक राप्ती नदी के रूप में स्वीकार किया है।४ ८. कुण्ड्या -प्रान्ध्र प्रदेश की एक नदी । ६. गोदावरी-दक्षिण भारत की यह सर्वाधिक लम्बी-चौड़ी नदी है तथा त्रयम्बकस्थ ब्रह्मगिरि का मूल स्रोत है। त्रयम्बक तीर्थस्थल है तथा नासिक से २० मील दूर पड़ता है। १०. चर्मण्वती -मध्यप्रदेश की आधुनिक चम्बल नदी । विन्ध्याचल पर्वत के 'जनपव' पर्वतमाला से इसकी तीन धाराएं फूटती हैं । इन धाराओं के नाम हैंचम्बल, चम्बेल तथा गम्भीरा ।' ११. जम्बूमाली११-इसे 'भोगवती' अथवा 'भोगायो' से अभिन्न माना जाता है । डे के अनुसार भोगवती नदी 'बल्ख' से सम्बद्ध है।१२ जम्बूमाली' को १. कीर्ति०, १.६०, वसन्त०, ११.३३, द्वया०, ११.४५ २. Dey, Geog. Dic., p. 180 ३. द्वया०, ६.६२ ४. Bajpai, Geog. Ency, Pt. I, p. 4 ५. द्वया० १६.६ ६. Narang, Dvayasrakāvya, p. 165 ७. द्वया० १६.११२ 5. Dey, Geog. Dic., p. 69; Gupta, Geog. in Ind. Ins., p. 261 ६. द्वया० २.६३ १०. Bajpai, Geog. Ency., p. 91; Dey, Geog. Dic., Pt. I, p. 48 ११. द्वया० ५.३७ 88. Narang, Dvayāśrayakāvya, p. 167; Bajpai, Geog. Ency, p. 68
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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