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जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज
२५. श्रीपवंत' - वरांग चरित के अनुसार इस पर्वत में 'श्री' मुनि ने सहस्रों वर्ष तक तपस्या की थी। डे महोदय के द्वारा प्रतिपादित 'श्री शैल' से यदि इसे अभिन्न माना जाए तो इसकी स्थिति करनाल देश की कृष्णा नदी के दक्षिण की ओर पड़ती है । 3
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२. नदियाँ
१. गंगा ४ - ( भागीरथी ) - गंगा का उद्गम स्थान हिमालय पर्वत है । भारत के प्रसिद्ध नगर हरिद्वार, प्रयाग, काशी, पटना, भागलपुर, कलकत्ता प्रादि गङ्गा के तट पर ही बसे हुए हैं ।
२. यमुना ६ – हिमालय के यमुनोत्री पर्वत से यमुना प्रवाहित होती है तथा प्रयाग के समीप गङ्गा से इसका संगम होता है । कालिन्दगिरि से उद्गम होने के कारण इसे कालिन्दी भी कहा जाता है ।
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३. तापी ताप्ती नदी 'विन्ध्यापाद' (प्राधुनिक सतपुड़ा की पर्वतश्रेणियों से निकलती हुई अरब सागर में मिलती है। सूरत इसके तोर पर स्थित है । "
४. सरयू १० – अवध में घाघरा अथवा घग्घर नदी से इसे अभिन्न माना गया है । अयोध्या इसी के तट पर बसा है । कुमाऊं की पहाड़ियों से उद्भूत होती हुई काली नदी से मिलने पर इसे सरयू अथवा घाघरा नदी कहा जाता है ।'
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५. मही १२ – महती अथवा मही नदी मालवा की चम्बल नदी की एक शाखा नदी है । इसी नदी को 'महिता' भी कहते हैं । १३
१. वराङ्ग०, २५.५८
२ . वही. २५.५६
३.
Dey, Geog. Dic., p. 193
४. कीर्ति ०, १.६०, द्वया०, ३.४
५. सर्वानन्द पाठक, विष्णुपुराण का भारत, पू० ३५
६. कीर्ति०, १.६०, द्वया०, ७.४३
७.
८.
Dey, Geog. Dic., p. 215
कीर्ति०, ४.५०
Dey, Geog. Dic., p. 204
ε.
१०. कीर्ति०, १.६०
११. Dey, Geog. Dic., pp. 181-82
१२. कीर्ति ०, ४.५०
१३.
Dey. Geog. Dic., pp. 119, 245