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भौगोलिक स्थिति
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१८. मरिणकूट-डे महोदय द्वारा प्रतिपादित 'मणिचूड' पर्वत । यह पवंत पूना से पूर्व की ओर ३० मील दूर 'जुजुरी' के निकट पड़ता है।
१९. मेरु3-मध्य एशिया के अल्ताई पर्वत से इसका सम्बन्ध जोड़ा गया है। अल्ताई मंगोलिया में 'अल्तेन-उल' के नाम से प्रसिद्ध है, जिसका अर्थ होता है-'स्वर्ण पर्वत' । कालिका पुराण के अनुसार इसी पर्वत से जम्बू नदी वहती है।
२०. पूर्व मन्दर-धातकी खण्ड द्वीप के पूर्वभाग का पर्वत, जो पांच मेरु पर्वतों में परिगणित है ।
२१. इषुकार गिरि–घातकी खण्ड द्वीप के दक्षिणवर्ती दिशा की ओर स्थित पर्वत, जिसका आकार बाण सहश है ।
२२. विजया पर्वत-हिमालय तथा दक्षिण समुद्र के मध्य में स्थित, घातकी खण्ड के भरत क्षेत्र का पर्वत । इस पर्वत में विद्याधरों का निवास माना जाता है ।
२३. वेलाद्रि११-चन्द्रप्रभचरित महाकाव्य के अनुसार यह पर्वत भारत वर्ष के पूर्व समुद्र का निकटस्थ पर्वत है।१२
२४. सम्मेवाचली.—बिहार में स्थित पाश्वनाथ' पर्वत से इसे अभिन्न माना गया है।'४
१. चन्द्र०, १४.१ २. Narang, Dvayasrayakavya, p. 155 ३. द्वया०, १.१२७, धर्म० ४.३ ४. Dey, Geog. Dic., p. 125 ५. चन्द्र०, १.११ ६. अमृतलाल, चन्द्र०. पृ० ५५३ ७. चन्द्र०, ५.१ ८. अमृतलाल, चन्द्र०, पृ० ५५३ ६. चन्द्र०, ६.७३, धर्म०, १.४२ १०. पन्नालाल जैन, धर्म०, पृ० ३८० ११. चन्द्र०, १६.३२ १२. वही, १६.३२ १३. धर्म०, २१.१८३ १४. पन्नालाल जैन, धर्म०, पृ० ३८०