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________________ ५१६ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज ११. शक्तिमत-शुक्तिमान् के नाम से भी प्रसिद्ध यह पर्वत भल्लाट नामक देश के अन्तर्गत है । विन्ध्य पर्वत माला का भी यह भाग है । १२. मलय3 - कावेरी नदी के पश्चिम की ओर, ट्रावनकोर की पहाड़ियों के समीप इसकी क्षेत्र सीमा है । १३. अन्ध-दो अन्धों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त होती हैं जिनमें से एक का सम्बन्ध 'आन्ध्र' देश है तो दूसरे को 'अन्धेला' नदी से अभिन्न माना गया है। सम्भवत: 'अन्ध' पर्वत से यहाँ अभिप्राय अन्धकार पर्वत से रहा हो। महाभारत के अनुसार इसकी स्थिति क्रौञ्च द्वीप में थी। १४. उशीनर-हरिद्वार में स्थित है। यहां से गंगा नदी मैदानी प्रदेशों की अोर बहना प्रारम्भ करती है । १५. नीलाद्रि -'वर्षपर्वत' कहलाता है जोकि मेरु के उत्तर में स्थित है । डे महोदय के अनुसार इसकी स्थिति उड़ीसा स्थित पुरी में होनी चाहिए। जगन्नाथ मन्दिर भी इसी में स्थापित था।' १६. शैलप्रस्थ११– सम्भवतः इस पर्वत की स्थिति लाट देश में रही होगी।१२ १७. शाल्व 3-अल्वर (राजस्थान) के पर्वतीय परिवर्ती प्रदेश की प्राचीन संज्ञा जिसका उल्लेख महाभारत में भी पाया है ।१४ १. द्वया०, १.६५ २. Dey, Geog. Dic., P. 196 ३. द्वया०, १.६५, चन्द्र० १६.३७ 8. Dey, Geog. Dic., p. 122 ५. द्वया०, १३.६६ ६. Bajpai, K.D., The Geographical Encyclopaedia of Ancient and Medieval India, pt 1, Varanasi, 1967: p. 22 ७. द्वया०, १५.२७ 5. Dey, Geog, Dic., p. 213 ९. द्वया०, ४.४७ १०. Gupta, Geog. in Ind. Ins., p. 240 & Dey, Geog. Dic,, p. 140 ११. द्वया०, ५.१ १२. Narang, Dvyasrayakāvya,, p. 155 १३. द्वया०, ६.६१ १४. विजयेन्द्र कुमार माथुर, ऐतिहासिक स्थानावली, पृ० ८६६
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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