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________________ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज भरत क्षेत्र के देशों से तुलना की जाए तो ज्ञात होता है कि कुरु, काशी, कलिंग, बंग, अंग, वत्स, पांचाल, दशार्ण, मगध, कुरुजांगल, कोशल, सिन्धु- सौवीर, शूरसेन, विदेह, चेदि तथा केकय - बृहत्कल्पसूत्र भाष्य प्रतिपादित १६ श्रार्य देश ही श्रादिपुराण में भी निर्दिष्ट हैं । ५१२ प्राचीन ऐतिहासिक देश विभाजन बौद्ध युगीन भारत राजनैतिक दृष्टि से सोलह महाजनपदों में विभक्त था । ' छठी शताब्दी ई० पूर्व के बौद्ध ग्रन्थ 'प्रगुत्तरनिकाय ' २ तथा प्राचीन जैन आगम ग्रन्थ 'भगवती सूत्र' 3 में सोलह महाजनपदों का उल्लेख आया है । किन्तु 'अङ्गुत्तरनिकाय' तथा 'भगवती सूत्र' में वरिणत १६ महाजनपदों में से केवल काशी, कोशल, अंग, मगध, वृजि, मालव तथा चेदि सात महाजनपदों में ही साम्यता है शेष नौ महाजनपद दोनों ग्रन्थों में पृथक् हैं । ४ संभवत: 'ग्रगुत्तरनिकाय' की अपेक्षा परवर्ती 'भगवतीसूत्र' के समय तक बौद्धयुगीन १६ महाजनपदों की भौगोलिक स्थिति में कुछ परिवर्तन अथवा संशोधन हो चुका था परिणामत: 'भगवतीसूत्र' का लेखक कुछ नवीन महाजनपदों के अस्तित्व की सूचना देता है । ५ मौर्य साम्राज्य के काल में राजनैतिक दृष्टि से भारत उत्तरापथ, पश्चिम चक्र, दक्षिणापथ, मध्य देश तथा कलिंग पांच चक्रों में विभक्त था तथा इन चक्रों के उप विभाग मण्डलों का पुनः जनपदों में विभाजन किया गया था । ६ मौर्य युग के पतन के उपरान्त भारतीय राज्य व्यवस्था में अनेक स्वतन्त्र राज्य स्थापित हो चुके थे जिनमें गणराज्यों की स्थिति प्रधान थी । ७ गुप्त राजानों ने पुनः एक बार विशाल साम्राज्य की स्थापना की और विभिन्न स्वतन्त्र राज्यों को एक सूत्र में संगठित किया किन्तु इस युग में सामन्त पद्धति के उदित हो जाने के कारण गुप्त राजाओं १. Basak, Radha Govind, Mahāvastu Avadāna, Vol. I, Calcutta, 1963, Introduction, p. XXIII २. अंगुत्तरनिकाय, १.२१३, ४.२५२, ५६.६० ३. भगवतीसूत्र. १५.१ ४. Jain, K.C., Lord Mahāvira and his Times, p. 197 ५. Thomas, E. J., History of Buddhist thought, Delhi, 1953, p. 6 Altekar, A.S., State and Government in Ancient India, Delhi, 1972, p. 209 ७. सत्यकेतु विद्यालंकार, प्राचीन भारतीय शासन व्यवस्था और राजशास्त्र, पू० २२१ ६.
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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