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________________ भौगोलिक स्थिति ५११ सिद्धान्त का भी उल्लेख पाया हैं, ये नव द्वीप हैं - (१) इन्द्रद्युम्न (२) सौम्य (३) गान्धर्व, (४) वरुण (५) कुमार (६) कसेरुमान् (७) ताम्रपर्ण (८) गभस्तिमान् तथा (8) नागद्वी।। इस भौगोलिक अवस्थिति में भारतवर्ष 'कुमारद्वीप' में अवस्थित है।' महाभारत में तेरह द्वीपों का भी उल्लेख आया है किन्तु इनकी स्थिति अस्पष्ट है । जैन भौगोलिक मान्यताएं जैन परम्परा के अनुसार लोक तीन हैं - अधोलोक, मध्यलोक तथा ऊर्चलोक । मध्य लोक मनुष्य लोक है तथा इसमें जम्बू द्वीप, धातकी खण्ड, पुष्कराद्ध ढाई द्वीप पाते हैं । जम्बू द्वीप मध्यलोक के ठीक मध्य-भाग में स्थित है। जम्बू द्वीप के अन्तर्गत सात क्षेत्र (भरत, हैमवत, हरि रम्यक, हैरण्यक, हैरण्यवत, विदेह तथा ऐरावत), छह कुलाचल (हिमवान्, महाहिमवान्, निषध, नील, रुक्मी तथा शिखरी) एवं चौदह नदियाँ (गंगा, सिन्धु, रोहितास्या, रोहितनवी, हरिकान्ता, हरित, सीतोदा, सीता, नरकान्ता, नारी, रूप्यकूला, सुवर्णकूला, रक्ता तथा रक्तोदा) पाती हैं। जम्बू निषध पर्वत के उत्तर में 'देवकुरु' तथा सुमेरु के उत्तर और नील पर्वत के दक्षिण दिशा की ओर 'उत्तरकुरु' नामक दो ‘भोगभूमियाँ' स्थित हैं । ___ जम्बू द्वीप का भरत क्षेत्र महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है । आदिपुराण के अनुसार इसकी स्थिति हिमवन्त के दक्षिण तथा पूर्वी-पश्चिमी समुद्रों के मध्य मानी गई है। भरत क्षेत्र में भी पार्य एवं अनार्य क्षेत्रों का भेद भी किया गया है। प्राचीन जैन आगम ग्रन्थों से ज्ञात होता है कि प्रारम्भ में २५१ प्रार्य देशों तक ही जैन साधुनों का आवागमन होता था किन्तु बाद में आन्ध्र, द्रविड़ महाराष्ट्र, द्रविड़, कुर्ग प्रादि कुछ अनार्य देशों में भी जैन साधुनों का प्रसार बढ़ने लगा। प्राचीन ग्रन्थ 'बृहत्कल्पसूत्र भाष्य' में निर्दिष्ट २५३ प्रार्य देशों की नवीं शताब्दी में रचित आदिपुराणोक्त १. Gupta, Pauranic Heritage, p. 47 २. त्रयोदश समुद्रस्य द्वीपान् । आदिपर्व, ७५.१६ ३. जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश, भाग ३, वाराणसी, १९७२, पृ० ४५६-६० ४. नेमिचन्द्र शास्त्री, आदि पुराण में प्रतिपादित भारत, पृ० ३७ ५. जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश, भाग ३, पृ० ४६२-७२ ६. नेमिचन्द्र शास्त्री, आदि पुराण में प्रतिपादित भारत, पृ० ४३ ७. वही, पृ० ४३-४४ जगदीशचन्द्र जैन, जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज, पृ० ४५८-५६ ६. बृहत्कल्पसूत्र भाष्य, १.३२७५-८६ १०. आदिपुराण, १६, १५२-५६
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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